मुजफ्फरनगर। जिला योजना में 41 विभाग ऐसे हैं, जिन्हें एक रुपया भी जारी नहीं हो पाया है। जिला योजना के 328 करोड़ के बजट के मुकाबले केवल 15 प्रतिशत यानी 51 करोड़ ही मिले हैं।
जिला योजना में सभी विभागों ने अपना-अपना बजट प्रस्ताव दिया था, जिसके अंतर्गत 328 करोड़ 36 लाख का बजट स्वीकृत हुआ था। प्रदेश सरकार बजट की मांग के मुकाबले केवल 51 करोड़ 12 लाख सात हजार ही जारी कर पाई है। वित्त वर्ष में इन विभागों का बजट जीरो ही रहा है। कई महत्वपूर्ण विभाग ऐसे हैं जिन्हें मांग के मुकाबले बहुत कम बजट जारी हुआ। केवल नौ विभागों को ही पैसा जारी हुआ है।
जिले में जिन विभागों को एक भी पैसा जारी नहीं हो पाया, इनमें उद्यान विभाग, लघु सिंचाई, मत्स्य पालन, सहकारिता, जल संसाधन, भूमि सुधार, पंचायत राज विभाग, सामुदायिक विकास, निजी लघु सिंचाई, राजकीय नलकूप, अतिरिक्त ऊर्जा, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, सड़क पुल, पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी, पर्यटन, प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, विकास दल, खेलकूद, एलोपैथिक चिकित्सा, परिवार कल्याण, होम्योपैथिक चिकित्सा, आयुर्वेदिक चिकित्सा, यूनानी चिकित्सा, ग्रामीण पेयजल, ग्रामीण स्वच्छता, पूल्ड आवास, नगरीय विकास, अनुसूचित जाति कल्याण, पिछड़ी जाति कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, समाज कल्याण सामान्य जाति, सेवा योजन, शिल्पकार प्रशिक्षण, समाज कल्याण पेंशन, विधवा पेंशन, कार्यक्रम विभाग शामिल हैं।
कृषि विभाग में 28 करोड़ की मांग के मुकाबले छह करोड़ 25 लाख ही आया। गन्ना विभाग में 22 करोड़ 41 लाख के मुकाबले केवल 16 करोड़ 36 लाख आया। पशुपालन में तीन करोड़ 84 लाख में 70 लाख आया। दुग्ध विकास में दो करोड़ 31 लाख की जगह 78 लाख मिला। वन विभाग को एक करोड़ 79 लाख की जगह एक करोड़ 47 लाख मिला, ग्राम्य विकास कार्यक्रम में 22 करोड़ 85 लाख की जगह 18 करोड़ 61 लाख मिला। रोजगार कार्यक्रम में 35 करोड़ 51 लाख में से 26 करोड़ 45 लाख 93 हजार मिला। ग्रामीण आवास में 26 करोड़ 40 लाख के स्थान पर तीन करोड़ 82 लाख मिला, दिव्यांगजन सशक्तिकरण में चार करोड़ 73 लाख के स्थान पर केवल एक करोड़ 26 लाख 12 हजार ही मिला।
सीडीओ संदीप भागिया का कहना है कि भले ही जिला योजना में पैसा कम मिला हो, लेकिन जिले में विकास कार्यों के लिए लगातार पैसा आ रहा है।