नई दिल्ली। अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ से अडानी ग्रुप पर लगाए गए धोखाधड़ी के आरोपों पर केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया गया. हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडानी ग्रुप को 90 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है. आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने इस बारे में पूछे जाने पर मीडिया से कहा, ’हम सरकार में हैं और किसी निजी कंपनी से संबंधित मुद्दों पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं.’
इससे पहले अडानी एंटरप्राइजेज ने अपने 20 हजार करोड़ रुपये के एफपीओ को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने का ऐलान किया है. हालांकि, कंपनी के एफपीओ को मंगलवार को पूर्ण अभिदान मिल गया था. अडानी एंटरप्राइजेज ने यह कदम अमेरिका की शॉर्टसेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद उठाया है. बीएससी के आंकड़ों के अनुसार, अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के तहत 4.55 करोड़ शेयर की पेशकश की गई थी, जबकि इसपर 4.62 करोड़ शेयरों के लिए आवेदन मिले थे.
गैर संस्थागत निवेशकों के लिए आरक्षित 96.16 लाख शेयरों पर करीब तीन गुना बोलियां मिली थीं. वहीं पात्र संस्थागत खरीदारों के सेक्शन के 1.28 करोड़ शेयर पर पूर्ण अभिदान मिला था. हालांकि, एफपीओ पर रटिल इनवेस्टर और कंपनी कर्मचारियों का रसि्पांस ठंडा रहा था. अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के चेयरमैन गौतम अडाणी ने कहा, ’पिछले हफ्ते कंपनी के शेयर में काफी उतार-चढ़ाव के बावजूद एफपीओ मंगलवार को सफलतापूर्वक बंद हुआ. कंपनी और उसके कारोबार के प्रति आपका भरोसा हमारा विश्वास बढ़ाने वाला है जिसके लिए हम आपके आभारी हैं.’
अडानी ने कहा कि कंपनी के शेयर में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव रहा. उन्होंने कहा, ’असाधारण परिस्थितियों के मद्देनजर, कंपनी के निदेशक मंडल ने फैसला किया है कि एफपीओ पर आगे बढ़ना नैतिक रूप से ठीक नहीं होगा. निवेशकों का हित हमारे लिए सर्वोपरि है और उन्हें किसी तरह के संभावित नुकसान से बचाने के लिए निदेशक मंडल ने एफपीओ को वापस लेने का फैसला किया है.’’हिंडनबर्ग रिसर्च’ की पिछले हफ्ते आई रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट आ रही है. गिरावट का यह सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा. पिछले पांच कारोबारी सत्रों में समूहों की कंपनियों का सामूहिक बाजार पूंजीकरण सात लाख करोड़ रुपये घट गया है.