बागपत। किसानों के मुद्दे को लेकर मेघालय के राज्यपाल सतपाल मलिक केंद्र सरकार को बयानों के बाण चलाकर घेरने में पीछे नहीं रहते हैं। ऐसे में अब राज्यपाल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सतपाल मलिक के राजनीतिक सफर को लेकर तीन अक्टूबर को शामली में होने जा रहा किसान सम्मेलन न केवल पश्चिम उत्तर प्रदेश, बल्कि हरियाणा तथा राजस्थान तक चर्चा के केंद्र में आ गया है। इस सम्मेलन में सतपाल मलिक 24 वर्ष बाद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पौत्र रालोद मुखिया जयन्त चौधरी से पहली बार मंच साझा करेंगे। इसलिए हर किसी की निगाह इस कार्यक्रम पर टिकी है।
सतपाल मलिक बागपत के हिसावदा गांव निवासी हैं। उन्होंने किसानों के मसीहा स्व. चौ. चरण सिंह की छत्रछाया में राजनीतिक सफर शुरू किया था। बेशक किसी जमाने में सतपाल मलिक चौधरी साहब के खासमखास हुआ करते थे, लेकिन इस परिवार से उनकी राजनीतिक अदावत भी काफी पुरानी है। 1977 के दौर में जब जनता पार्टी सफलता के चरम पर थी तब चौधरी साहब और मलिक की राह जुदा हो गई।
वर्ष 1998 में अजित सिंह के भाजपा प्रत्याशी सोमपाल शास्त्री से चुनाव हारने के कुछ समय बाद मलिक उनसे भी अलग हो गए। उन्होंने 15 जुलाई 1979 को मोरारजी देसाई की सरकार गिरने के बाद मलिक चौधरी साहब के पास लौट आए। फिर 1984 में चौधरी साहब से अलग हो गए। इसके बाद मलिक कांग्रेस वाया जनता दल तथा सपा होते हुए 1997 में अजित सिंह के साथ आ गए, मगर साथ लंबा नहीं चला। वर्ष 1998 में अजित सिंह के भाजपा प्रत्याशी सोमपाल शास्त्री से चुनाव हारने के कुछ समय बाद मलिक उनसे भी अलग हो गए। उन्होंने वर्ष 2004 में भाजपा के टिकट पर बागपत से अजित सिंह के सामने लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए।
अब 24 साल बाद अब फिर तीन अक्टूबर को शामली में जयन्त के साथ किसान सम्मेलन का मंच साझा करेंगे। इससे अब लोगों की निगाह दोनों में अंदर खाने चल रही राजनीतिक की नई जुगलबंदी पर टिकी है।
सतपाल मलिक का 30 सितंबर को मेघायल के राज्यपाल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। इसलिए सवाल उछल रहा कि क्या वह रालोद की पिच पर कैराना से 2024 में लोस चुनावी मैच खेलेंगे। राज्यपाल रहते जिस तरह किसान व अन्य मुद्दों पर केंद्र सरकार पर हमलावर रहे, उससे लोग कयास लगाए जा रहे हैं कि वह रालोद का दामन थाम सकते हैं। रालोद नेता जगपाल सिंह ने बताया कि सतपाल मलिक, जयन्त चौधरी के साथ मंच पर रहेंगे।