रामपुर। समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता आजम खां की 42 साल की सियासत मात्र आठ दिन में चौपट हो गई है। भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा होने से उनकी विधायकी भी चली गई और अब चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। आजम खां रामपुर शहर से 10 बार विधायक बन चुके हैं। 1980 में पहली बार विधायक बने। राज्यसभा और लोकसभा सदस्य भी रहे। प्रदेश में जब भी सपा की सरकार बनी, तब वह कई-कई विभागों के मंत्री बने। प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी रहे। लेकिन, सियासत की शुरुआत से ही वह विवादित बयानों और अपनी तुनकमिजाजी के कारण चर्चा में बने रहे।
चुनाव चाहे कोई रहा हो, लेकिन आजम आपत्तिजनक भाषण देते रहे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जब प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, तब उनकी भड़काऊ भाषणबाजी जोरो पर थी। तब चुनाव आयोग ने उनके बोलने पर भी पाबंदी लगा दी थी। आचार संहिता उल्लंघन और आपत्तिजनक भाषण देने पर उनके खिलाफ सात मुकदमे भी दर्ज हुए थे। 2019 के चुनाव में भी आयोग ने उनपर पाबंदी लगाई, लेकिन, उनके बोलने के अंदाज पर कभी कोई असर नहीं हुआ। वह अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ जमकर बोलते रहे। उनके खिलाफ मुकदमे भी दर्ज होते रहे।
भड़काऊ भाषणबाजी के ऐसे ही एक मामले में 27 अक्टूबर को अदालत ने उन्हें तीन साल की सजा सुना दी। इस मामले में उन्होंने तत्कालीन जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह के साथ ही मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री पर भी निशाना साधा था। इस प्रकरण में हुई सजा से ही आजम खां का सियासी करियर चौपट हो गया है। उनकी विधायकी भी चली गई है और अब वे चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे। उनका सियासी खेल चंद रोज में ही इस तरह बिगड़ जाएगा, ऐसा उन्होंने सोचा भी नहीं होगा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल से ज्यादा की सजा होती है तो उसी दिन से उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी। इसी कारण सजा के अगले दिन ही उनकी विधायक ही रद्द कर दी गई। शनिवार को भारत निर्वाचन आयोग ने रामपुर में उपचुनाव कराने की घोषणा कर दी। अब यहां 10 नवंबर से नामांकन पत्र दाखिल किए जाएंगे। 17 नवंबर तक नामांकन प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद पांच दिसंबर को मतदान होगा और आठ दिसंबर को मतगणना की जाएगी।
सपा नेता आजम खां के गढ़ में छह साल के अंदर चौथी बार विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। देश में शायद ही कोई ऐसी विधानसभा सीट हो, जहां इतनी जल्दी-जल्दी चुनाव हो रहे हों, लेकिन रामपुर में ऐसा हो रहा है। यह सब सपा नेता आजम खां की वजह से हो रहा है। आजम खां इस शहर से 10 बार विधायक बन चुके हैं। साल 2017 में भी वह विधायक बने थे। इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ लिया। तब वह सांसद बन गए और विधायक के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद अक्टूबर 2019 में रामपुर शहर में विधानसभा उपचुनाव हुआ। तब आजम खां की पत्नी तजीन फात्मा ने राज्यसभा सदस्य रहते विधायक का चुनाव लड़ा और जीत गईं। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में भी आजम खां शहर से सपा प्रत्याशी रहे। चुनाव के दौरान वह सीतापुर जेल में बंद थे, फिर भी रिकार्ड वोटों से जीत गए। विधायक बनने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद जून माह में यहां लोकसभा का उप चुनाव हुआ, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के घनश्याम सिंह लोधी सांसद बन गए।