गाजियाबाद। रेड एप्पलए मंजू होम्स सहित 50 कंपनियां बनाकर की गई 100 करोड़ की धोखाधड़ी में बैंक अधिकारी भी फंस गए हैं। दो मुकदमों में इन्हें आरोपी बनाया गया है। इन पर आरोप है कि रेड एप्पल के मालिक राजकुमार जैन को फर्जी कागजात पर ऋण दिया। लोगों ने फ्लैट खरीदने के लिए जो कागजात दिए थे, उनका इस्तेमाल लोन लेने में किया गया। राजकुमार के जेल जाने के बाद आ रही शिकायतों में बैंक अधिकारियों की उसके साथ साठगांठ होने के आरोप हैं। जिन लोगों के नाम से राजकुमार ने लोन लिए, उनके पास अब बैंक के नोटिस आए हैं तो उन्हें पता चला है।
धोखाधड़ी के शिकार लोगों में भास्कर और चंद्र प्रकाश गोयल बिल्डर राजकुमार जैनए प्रतीक जैन, वीरेंद्र, अक्षय जैन, रिषभ जैन, अनुशा जैन, निखिल जैन, इंदु जैन, नमन जैन, मुकेश गोस्वामी के साथ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के लोन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ नंदग्राम थाना में केस दर्ज कराए हैं। इनमें बैंक अधिकारियों का नाम नहीं खोला गया है। पुलिस मालूम कर रही है कि राजकुमार जैन के साथ कौन-कौन अधिकारी मिले हुए थे। एसपी सिटी निपुण अग्रवाल का कहना है कि पीड़ितों की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज की जा रही है। हाल में जो शिकायतें मिली हैं उनमें बैंक की मिलीभगत होने का मामला भी सामने आया है। इसकी जांच कर तत्कालीन बैंक अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
बैंक अधिकारियों से थी नजदीकी
राजकुमार जैन की एसबीआई की पार्लियामेंट स्ट्रीट दिल्ली शाखा में अधिकारियों से नजदीकी का पता चला है। एफ आईआर में बताया गया है कि यहां से फ्लैट बेचने के नाम बिना सत्यापन के लोन कराए गए थे। कई मामलों में पिछली तारीखों में लोन स्वीकृत करा दिए गए। जिन लोगों के कागजात इस्तेमाल किए गए, उन्हें बाद में बताया गया। उनसे सिर्फ हस्ताक्षर कराए गए।
दो घंटे में करा दिया लोन
राजनगर एक्सटेंशन निवासी चंद्र प्रकाश गोयल ने बताया कि उन्होंने 2012 में मंजू होम्स प्रोजेक्ट के लिए फ्लैट बुक कराया था जिसका 2015 में कब्जा मिलना था, लेकिन फ्लैट मिलना तो दूर निर्माण कार्य ही शुरू नहीं हुआ। इसके बाद राजकुमार जैन ने उनसे मंजू होम्स के बजाय रेड एप्पल प्रोजेक्ट में फ्लैट देने की बात कही और काम शुरू करने के लिए लोन कराया। उन्हें एसबीआई की पार्लियामेंट शाखा में जाकर लोन के कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा। हस्ताक्षर करने के दो घंटे में ही लोन की रकम बिल्डर के खाते में चली गई। किसी प्रकार की सत्यापन प्रक्रिया नहीं की गई।
रविवार को स्वीकृत हो गया लोन
वसुंधरा निवासी भास्कर भट्ट ने बताया कि 2012 में फ्लैट बुक करवाने के दौरान उन्होंने तीन लाख रुपये दिए थे। बिल्डर को 2015 में फ्लैट का कब्जा देना था लेकिन बिल्डर ने काम शुरू नहीं किया। बिल्डर ने काम शुरू करने के लिए रुपये मांगे। इसके लिए उन्हें फ्लैट के लिए लोन कराने की बात कही और एसबीआई की दिल्ली की पार्लियामेंट स्ट्रीट शाखा में कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए भेज दिया और कुछ घंटे में ही लोन की रकम बिल्डर के खाते में पहुंच गई। पीड़ित को इसकी जानकारी लोन के दस्तावेज मिलने पर हुई। लोन स्वीकृति की जो तारीख बताई, वह रविवार का दिन था। इसके बाद उन्हें धोखाधड़ी का अहसास हुआ। पीड़ित का कहना है कि वह जब से ही लोन की किस्त जमा कर रहे थे।