नई दिल्ली। दिल्ली के सब्जी मंडी हादसे में मां के सामने ही उसके दोनों मासूम बेटे गिरती हुई इमारत में समा गए। अचानक धमाका हुआ और चारों ओर रेत का गुबार उठा। कुछ ही देर में वहां का नजारा बदला हुआ था। आयुषी को लगा कि शायद उसके बच्चे घर भाग गए हों। भागते-भागते आयुषी घर पहुंची तो वहां दोनों बेटे नहीं पहुंचे थे। बदहवास आयुषी वापस घटना स्थल पर पहुंची तो वहां का नजारा ही बदला हुआ था। अब आयुषी को लग चुका था कि दोनों बच्चे मलबे में दब गए हैं। इसका गुमान होते ही आयुषी होश खो बैठी। इस बीच पुलिस की टीम वहां पहुंच चुकी थी। पुलिस ने आयुषी को सुरक्षित पहुंचाया। बाद में करीब दो घंटे बाद दोनों बच्चों प्रशांत और सौम्य के शव मलबे से निकाले गए। आयुषी के दो ही बेटे थे। बच्चों की मौत की खबर के बाद से बार-बार आयुषी अपने होश खो रही थी।
एक परिजन ने बताया कि सौम्य और प्रशांत अपने परिवार के साथ सोरा-कोठी, सब्जी मंडी, मेन बाजार रोड पर रहते थे। इनके परिवार में पिता नितिन गुप्ता, मां आयुषी व अन्य सदस्य हैं। नितिन सदर बाजार में एक दुकान पर नौकरी करता है। वहीं सौम्य पास के स्कूल में पांचवी और प्रशांत तीसरी कक्षा का छात्र था।
कोरोना के बाद से लगातार स्कूल बंद चल रहे थे। दोनों भाई सब्जी मंडी में ही ट्यूशन पढ़ने जाते थे। हादसे के समय सोमवार को दोनों ट्यूशन पढ़ने आए थे। ट्यूशन समाप्त होने के बाद उनकी मां आयुषी दोनों लेकर पैदल ही घर लौट रही थी।
सुबह करीब 11.45 बजे आयुषी हादसे वाली इमारत के सामने पहुंची। उसे परचून की दुकान से कुछ सामान लेना था। वह दोनों बेटों को इमारत के नीचे खड़ा करके खुद सड़क पार कर दुकान की ओर बढ़ गई।
अभी वह सामान ले ही रही थी कि अचानक इमारत गिरी और आयुषी के सामने ही उसके दोनों बेटे मलबे में समा गए। सूचना मिलते ही आयुषी का पति नितिन भी वहां पहुंच गया। दोनों बच्चों की मौत के बाद परिवार का रोते-रोते बुरा हाल है। एक परिजन ने बताया कि दोनों बच्चों को जानवरों से बहुत प्रेम था। रोजाना दोनों मोहल्ले के आवारा कुत्तों को खाने-पीने के लिए देते थे। यहां तक अपनी पॉकेट मनी से उनको दूध भी पिलाते थे।