लखनऊ. यूपी में लोकसभा चुनाव में हारी हुई सीटों पर भाजपा ने निगाहें जमा दी हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में और ज्यादा तैयारी के साथ पार्टी मैदान में उतरी पड़ी है। मुरादाबाद मंडल समेत प्रदेश भर में उन सीटों पर जहां 2019 में शिकस्त मिली वहां केंद्रीय मंत्रियों और राज्यसभा सांसदों को जिम्मेदारी दी है। मंत्री संगठन की समीक्षा कर रहे हैं। उन वोटरों तक पहुंच कैसे बनाएं जो पिछले चुनाव में साथ नहीं थे। इसका भी आकलन कर रहे हैं।

संभल में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, अमरोहा में मीनाक्षी लेखी, बिजनौर में रेल राज्य मंत्री अश्विनी वैष्णव और मुरादाबाद में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को जिम्मेदारी मिली है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने मुरादाबाद में दो रात तीन दिन बिताए, जबकि अश्विनी चौबे भी संभल में तीन दिन से प्रवास पर हैं। मुरादाबाद प्रवास के दौरान जितेंद्र सिंह ने सभी मोर्चा-प्रकोष्ठों के साथ ही जिला और महानगर संगठन की कार्यशैली को भांपा। इसके अलावा अधिवक्ता, डॉक्टर, रिटायर्ड कर्मचारी समेत कई वर्ग के लोगों के साथ संवाद किया।

मकसद सिर्फ यही है कि पिछली बार की गलतियों से सबक लेकर जीत का मार्ग किस तरह प्रशस्त करें। इसमें लाभार्थियों तक संपर्क कर उन्हें अपने साथ लाने के लिए रणनीति बनाई गई। साथ ही उन सभी बूथों पर भी संगठन उतरेगा जो बूथ भाजपा ने हारे हैं। भाजपा का मानना है कि केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार ने जो योजनाएं चलाईं उनका लाभ सभी को मिला। किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया। ऐसे मतदाता अभी तक किसी दल में रहे हों पर हमारे साथ आने की पूरी गुंजाइश है। इसी पर एक रणनीति के तहत मुहिम छेड़ी जा रही है। पहले दौरे में जो होमवर्क मंत्री ने दिया है उसे अगले दौरे में वह चेक भी करेंगे।

केंद्रीय मंत्री के पहले ही दौरे में अव्यवस्थाएं हावी रहीं। प्रस्तावित कार्यक्रमों में आधी अधूरी तैयारियों की झलक दिखाई दी। कहीं सख्या कम तो कहीं अव्यवस्था का आलम रहा। इस सब पर मंत्री ने इशारों में काफी कुछ कह दिया। सुधार के लिए भी कहा। पार्टी के कुछ नेताओं ने पहले दिन ही मंत्री के सामने खुल कर अपने विचार बयां कर साफ कर दिया कि शीर्ष नेतृत्व की मंशा पूरी होने में बाधाएं कौन सी हैं। बताया गया मतदाताओं तक पहुंच में कमजोरी की वजह नेताओं की सुस्ती है।