नई दिल्ली। भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद कहा जाता है कि राहुल गांधी ने राजनीतिक पटल पर अपनी छाप छोड़ी है, लेकिन भाजपा ने उनके लंदन वाले बयान को मुद्दा बना लिया है और उनसे माफी की मांग कर रही है। लोकसभा में सबसे आगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह थे, जिन्होंने इस मुद्दे को उठाया। तब से एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन राहुल गांधी भाजपा के निशाने पर बने हुए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने अपने नेता का बचाव करते हुए कहा है कि माफी का सवाल ही नहीं उठता।
संसद के दोनों सदनों के स्थगित होने के बाद शुक्रवार को विपक्ष संसद परिसर में धरने पर बैठ गया। राहुल जिद कर रहे हैं कि वह सदन में बोलना चाहते हैं। इसे लेकर वे लोकसभा अध्यक्ष से भी मिले। उन्होंने कहा कि चार मंत्रियों ने संसद में उनके खिलाफ आरोप लगाए हैं, इसलिए उन्हें वहां जवाब देने का अधिकार है।
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पहली प्राथमिकता संसद में बोलना है और वह रोजाना कोशिश करेंगे और इस सत्र के चलने तक अध्यक्ष से मुलाकात करेंगे। अगर उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया गया तो वह मीडिया को संबोधित कर अपने विचार रखेंगे।
राहुल गांधी ने कहा, “सदन के पटल पर बोलना मेरा अधिकार है। मैं अध्यक्ष के कक्ष में गया और मैंने उनसे अनुरोध किया। मैंने कहा, देखिए, मुझे बोलना बहुत पसंद है। मैंने उनसे कहा कि भाजपा के लोगों ने मुझ पर आरोप लगाए हैं और एक सांसद के तौर पर यह मेरा अधिकार है कि मैं बोलूं।”
कांग्रेस द्वारा राहुल का बचाव किया जा रहा है और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि माफी का कोई सवाल ही नहीं है। राहुल सदन के अंदर जवाब देंगे। शशि थरूर जैसे कांग्रेस नेताओं ने भी उनका बचाव किया है और कहा है कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी पड़े।
राहुल ने पलटवार करते हुए पूरे मामले को अदाणी विवाद से जोड़ दिया। उन्होंने कहा, “यहां क्या चल रहा है। यह कहानी उस दिन से शुरू हुई, जब मैंने अदाणी के बारे में संसद में अपना भाषण दिया। मैंने प्रधानमंत्री से व्यवसायी के साथ उनके संबंधों के बारे में कुछ बुनियादी सवाल पूछे कि कैसे अदाणी को संपूर्ण भारत-इजरायल रक्षा संबंध समेत बहुत कुछ दिया गया है।” उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री, अदाणी और स्टेट बैंक के अध्यक्ष और ऑस्ट्रेलिया के एक राज्य के मुख्यमंत्री के बीच क्या हुआ।”
कांग्रेस राहुल गांधी का बचाव कर रही है और विपक्षी एकता को बरकरार रखने की कोशिश भी कर रही है। हालांकि, महुआ मोइत्रा को छोड़कर टीएमसी कांग्रेस के साथ तालमेल नहीं बिठा रही है, जिन्होंने सदन में विपक्ष की आवाज दबाने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि जेपीसी की मांग को लेकर विपक्ष एकजुट है। हालांकि, गुरुवार को एनसीपी ने प्रवर्तन निदेशालय को दिए ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किए। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि धारावी पुनर्विकास योजना के उल्लेख के संबंध में उनके पास एक मुद्दा है।