
नई दिल्ली। भारत सरकार देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दे रही है। साल 2021 तक देश में डिजिटल लेनदेन चार गुना तक बढ़ने की उम्मीद है। सुरक्षित बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारतीय बैंकों ने कई कदम उठाए हैं। बैंक समय-समय पर फ्रॉड पर लगाम लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करते रहते हैं। लेकिन तब भी जालसाज बैंक खातों से पैसों की निकासी कर ही लेते हैं। फ्रॉड से बचने और सुरक्षित बैंकिंग के लिए आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (ैठप्) ने भी ग्राहकों को अलर्ट किया है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
एसबीआई ने ग्राहकों को अलर्ट कर बताया है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी तरह के फेक मैसेज के चक्कर में न पड़ें। बैंक ने कहा है कि जालसाज सोशल मीडिया पर फर्जी या भ्रामक मैसेज भेज रहे हैं और फिलहाल बैंक की ओर से ग्राहकों को कोई भी मैसेज नहीं भेजे जा रहे हैं।
मालूम हो कि बैंक के प्रतिनिधि ग्राहकों को कभी फोन नहीं करते हैं और ना ही किसी तरह का ईमेल करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि बैंक ना तो ऑनलाइन फॉर्म भरवाता है और ना ही फोन पर बैंक खाते से जुड़ी जानकारी मांगता है। इसलिए बैंक खाते की जानकारी मेल, एसएमएस या फोन पर किसी के साथ साझा ना करें।
सुरक्षित बैंकिंग के लिए ग्राहकों को मोबाइल बैंकिंग और इंटरनेट बैंकिंग में ऑटोफिल या सेव यूजर आइडी या पासवर्ड जैसे विकल्पों को इनेबल नहीं करना चाहिए क्योंकि ये जोखिम भरे साबित हो सकते हैं।
साइबर अटैक के लिए फिशिंग अटैक सबसे पुराना और आसान तरीका है। फिशिंग अटैक में ई-मेल आईडी को भी हैक किया जाता है। इसके लिए हैकर्स फर्जी और आपके दोस्तों के नाम से मिलते-जुलते ई-मेल भेजते हैं जिसमें वायरस वाले लिंक होते हैं। धोखाधड़ी से बचने के लिए आप किसी फिशिंग ईमेल पर कभी क्लिक न करें और ऑनलाइन भुगतान में हमेशा वन टाइम पासवर्ड (व्ज्च्) का विकल्प ही चुनें। इससे धोखाधड़ी की संभावना कम हो सकती है।
ग्राहकों को समय-समय पर खाते की जांच करते रहना चाहिए। हर बार लेनदेन करने के बाद आपको यह चेक करना चाहिए कि आपने सही राशि का भुगतान किया है या आपको पूरी रकम मिली है या नहीं।
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