शामली। मार्च 2017 में तीन सदस्यीय टीम शामली पहुंची थी, जो थानाभवन शुगर मिल के गेस्ट हाऊस में एक सप्ताह तक रही। टीम ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए जिले में चल रहे रेत खनन की जानकारी जुटाई और झिंझाना क्षेत्र में चल रहे रेत खनन के प्वाइंटों पर जाकर जांच-पड़ताल की थी। उस दौरान वहां लगे रेत के स्टॉक की भी पैमाइश की गई थी। उस दौरान कई लोगों ने थानाभवन गेस्ट हाऊस में पहुंचकर अवैध रेत खनन के संबंध में बयान भी दर्ज कराए थे। इसके बाद टीम लौट गई थी। उसके बाद इस प्रकरण में क्या कार्रवाई हुई या नहीं, इसकी जानकारी किसी को नहीं मिल पाई थी।

कस्बा झिंझाना के मोहल्ला होशंगपुर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता धर्मवीर सरोहा ने बताया कि वे 2010 से जिले में चल रहे अवैध रेत खनन की शिकायत करते चले आ रहे हैं, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया जब उन्हें पता चला कि थानाभवन गेस्ट हाऊस में सीबीआई टीम रेत खनन की जांच के लिए आई हुई है तो वे चार मार्च 2017 को अवैध खनन संबंधी दस्तावेजों की फाइल लेकर टीम से मिले थे। उनका कहना है कि उन्होंने टीम को अवैध खनन संंबंधी साक्ष्य उपलब्ध कराए थे। टीम ने उनके बयान भी दर्ज किए थे।

उस समय उन्होंने टीम को शामली, सहारनपुर व बागपत जिले की सीमा तक करीब 65 किलोमीटर दूरी में 127 प्वाइंटों पर रोजाना एक लाख 15 हजार टन औसत रेत खनन होने की शिकायत की थी। इसके बाद उन्होंने प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर 22 जून 2017 को तत्कालीन राज्यपाल से शामली जिले में अवैध रेत खनन की शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की थी। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस मामले में अपने स्तर से कार्रवाई कराने के लिए पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री ने तत्कालीन सहारनपुर के मंडलायुक्त को प्रकरण की जांच सौंपे जाने से राज्यपाल को पत्र भेजकर अवगत कराया गया था।

कई साल पहले रेत खनन के मामले को लेकर सीबीआई टीम शामली जिले में आई थी, लेकिन यह मामला मेरी तैनाती से पहले का है, इसलिए अधिकारिक तौर पर उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।