लखनऊ। समानता के आधार पर बच्चों को शिक्षा व अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रदेश के सभी मदरसों को ऑनलाइन किया जाएगा। इसके लिए प्रदेश के सभी मदरसों व उनके छात्रावासों में रह रहे बच्चों का डाटा एकत्र किया जा रहा है।

इसका मकसद है कि जैसे अन्य छात्रावासों के बच्चों को छात्रवृत्ति या अन्य सुविधाएं मिलती हैं, वैसे ही मदरसों के बच्चों को भी मिलें। इन बच्चों के अधिकारों का भी संरक्षण हो। राज्य सरकार ने इसके लिए अभियान चलाकर प्रदेश के सभी मदरसों को ऑनलाइन व्यवस्था से जोड़ने को कहा है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता के अनुसार सभी जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को इस काम में लगाया गया है।

प्रदेश के लगभग सभी जिलों में कई मदरसे हैं। कई बार इन मदरसों के बच्चे किसी वजह से भागकर जब शिकायत करते हैं और संबंधित विभाग मदरसों के जिम्मेदारों से संपर्क करता है तो जवाब मिलता है कि वह अल्पसंख्यक कल्याण या किसी अन्य विभाग से संबद्ध नहीं हैं। इसे देखते हुए सरकार ने सभी मदरसों को ऑनलाइन कर उन्हें जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के दायरे में लाने का फैसला किया है।

मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्र-छात्राएं भी अब एनसीईआरटी की किताबों से तालीम हासिल करेंगे। दो साल के इंतजार के बाद प्रदेश के सभी 560 अनुदानित मदरसों में गणित, विज्ञान, अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, इतिहास, भूगोल की एनसीईआरटी की किताबें मुफ्त वितरित करने की कवायद शुरू हुई है।

प्रदेश सरकार ने दो साल पहले तैतानिया (कक्षा 1 से 5), फौकानिया (कक्षा 5 से 8) और आलिया या उच्च आलिया स्तर (हाईस्कूल व उससे ऊपर) के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई की मंजूरी दी थी।

प्रदेश में मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त करीब 16,461 मदरसे हैं। इनमें से 560 मदरसे सरकार से अनुदानित हैं।  तैतानिया और फौकानिया के बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक विज्ञान की शिक्षा बेसिक शिक्षा परिषद की तय किताबों से दी जाती है। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग सर्व शिक्षा अभियान के तहत निशुल्क किताबें उपलब्ध कराता है।