लखनऊ। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अश्वनी कुमार कहते हैं की देश की करीब 51 फीसदी खेती बारिश पर आधारित है। जिससे खाद्य उत्पादन का ही सिर्फ हिस्सा 40 फीसदी होता है। वह कहते हैं की सितंबर महीने में होने वाली बारिश का असर खरीफ की फसलों पर सीधे तौर पर दिखाई देता है।
लगातार हो रही बारिश के चलते किसानों पर बड़ा असर पड़ने वाला है। इसके चलते अनुमान लगाया जा रहा है की अगर जाता हुआ मानसून ऐसे ही बरसता रहा तो लोगों के किचेन का बजट बिगड़ सकता है। हालांकि कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इसमें कुछ फसलों का तो फायदा होगा। लेकिन सब्जियों से लेकर कई अन्य फसलों में ज्यादा पानी नुकसानदेह हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है की धान और गन्ने की फसल के साथ कुछ अन्य अनाजों का उत्पादन करने वाले किसान इस बारिश से फायदे में हैं। लगातर हो रही बारिश से अलग अलग राज्यों में अलग अलग परिस्थियां बनी हैं। वही मौसम विभाग के मुताबिक देश के अलग राज्यों में लगातार बारिश का माहौल बना हुआ है।
इस मानसून में लगातार हो रही बारिश से किसानों के चेहरे पर कहीं सुकून तो कहीं रंगत उड़ी हुई है। कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर दीपक ओमकार जाधव कहते हैं कि लगातार हो रही बारिश धान और गन्ने की फसल लिये फायदेमंद है। उनका कहना है की ज्यादातर धान की बुवाई हो गई है। अब जब इस फसल में पानी की जरूरत है तो मानसून से उसकी जरूरत पूरी हो रही है। इस वजह से किसानों को फसल ने पानी लगाने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी है। चूंकि ज्यादातर धान की पैदावार वाले राज्यों में सितंबर में बारिश ठीक ठाक बारिश हो रही है। इसलिए यह फसल और किसान के लिए बहुत मुफीद है।
कृषि वैज्ञानिको का कहना है कि इसी वजह से अनुमान लगाया जा रहा है कि धान की फसल की पैदावार भी पिछली पैदावार की तुलना में बढ़ सकती है। केंद्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान के उपनिदेशक रहे हरिओम त्रिपाठी कहते हैं की सितंबर में होने वाली बारिश से गन्ने की फसल को भी फायदा होने वाला है। इसमें उत्तर प्रदेश समेत महाराष्ट्र के किसानों के लिए राहत है। हरिओम त्रिपाठी का कहना है की इन फसलों के साथ कुछ अन्य फसलों जिसमे छोटे दाने वाली फसलों और दालों में फायदा तो है लेकिन बहुत ज्यादा बारिश नुकसानदेह साबित हो सकती है। बहुत अधिक बारिश से मूंगफली, सोयाबीन, उड़द, मूंग और तिल जैसी कई अन्य खरीफ की फसलों पर प्रभाव पड़ सकता है। इसमें ज्यादा बारिश से फसलो के सड़ने का खतरा बना रह सकता है।
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर अश्वनी कुमार कहते हैं की देश की करीब 51 फीसदी खेती बारिश पर आधारित है। जिससे खाद्य उत्पादन का ही सिर्फ हिस्सा 40 फीसदी होता है। वह कहते हैं की सितंबर महीने में होने वाली बारिश का असर खरीफ की फसलों पर सीधे तौर पर दिखाई देता है। चूंकि पिछले कुछ वर्षों में इस महीने में बारिश तय हिसाब से नहीं होती है। इसलिए फसलों से लेकर सब्जियों पर इसका असर दिखता है।
उन्होंने कहा की इस महीने में जिस तरह से बारिश हो रही है उसमे सब्जियों पर असर पड़ सकता है। क्योंकि जो सब्जियां जमीन के अंदर होती हैं उनमें अधिक पानी पहुंचने से उसके सड़ने का खतरा बढ़ सकता है। इसमें आलू से लेकर अदरक और जिमिकंद से लेकर हल्दी जैसी जड़ वाली सब्जियों और । मसालों वाली क्रॉप को नुकसान हो सकता है। अश्वनी कुमार कहते हैं चूंकि इनका सीधा दखल हमारे किचन में होता है। इसलिए बारिश के असर से कीमतें किचन का बजट बिगाड़ सकती हैं। इसके अलावा ज्यादा बारिश का असर भिंडी, टमाटर,प्याज और लहसुन पर भी पड़ सकता है।
वहीं मौसम विभाग के अनुसार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। राजस्थान, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न इलाकों में भी 15 सितंबर तक जमकर बारिश का अनुमान लगाया गया है। 15 से17 सितंबर तक छत्तीसगढ़ में, मध्य महाराष्ट्र में 12 सितंबर को, असम और मेघालय में 13 और 14 सितंबर कर भारी बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और ओडिशा में भी 15 सितंबर तक अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश का अनुमान है। इसके अलावा दिल्ली एनसीआर से लेकर पंजाब समेत उत्तर प्रदेश ने लगातर बारिशों का दौर बना रहेगा।