मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में परिवार न्यायालय ने एक ऐतिहासिक आदेश दिया है, जो कि आने वाले दिनों में मिसाल बन सकता है। न्यायालय ने पेंशन पा रही पत्नी को अपने बेरोजगार पति को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
हिंदू विवाह अधिनियम में महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता के आधार पर की गई है, वहीं महिला उत्पीड़न से त्रस्त पति के हितों की भी रक्षा की गई है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर परिवार न्यायालय मुजफ्फरनगर ने मंगलवार को ऐसा ही आदेश पारित किया है, जिसमें पेंशन भोगी पत्नी अपने पति को गुजारा भत्ता अदा करेगी। अधिवक्ता बालेश कुमार तायल के अनुसार खतौली निवासी किशोरीलाल ने वर्ष 1990 में कानपुर निवासी मुन्नी देवी से विवाह किया था। मुन्नी देवी रक्षा अनुसंधान विकास संगठन कानपुर में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में कार्यरत थी। शादी के कुछ वर्षों बाद किशोरीलाल व मुन्नी देवी के बीच मनमुटाव हो गया। इसके बाद किशोरीलाल खतौली आकर रहने लगा। उसने वर्ष 2013 में भरण पोषण की मांग करते हुए मुन्नी देवी के विरुद्ध परिवार न्यायालय में याचिका दायर की। इसी बीच मुन्नी देवी सेवानिवृत्त हो गई, जिसे लगभग बारह हजार रुपये मासिक पेंशन के रूप में प्राप्त होने लगे। बेरोजगार किशोरीलाल की याचिका परिवार न्यायालय नंबर- 2 तृप्ता चौधरी के न्यायालय में विचाराधीन रही। न्यायालय ने किशोरीलाल की भरण पोषण की मांग याचिका स्वीकार कर ली और उसकी पत्नी मुन्नी देवी को एक हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता अपने पति को देने के आदेश दिए हैं।