
शामली। संगठनात्मक फेरबदल के बाद जिले में पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं को एकजुट करने को लेकर भाजपा हाईकमान ने तैयारी शुरू कर दी है। 2022 विधानसभा चुनाव में शामली, कैराना, थानाभवन तीनों सीटों पर पराजय का सामना करने वाली भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 को जीतने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। पश्चिमी यूपी के विभिन्न जिलों के मुकाबले शामली की तपिश को कम करने के लिए खुद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य 23 सितंबर को शामिल आ रहे हैं। उनके दौरे को लेकर न सिर्फ संगठन में हलचल है, बल्कि विपक्षी दलों की भी निगाहें भी दौरे पर लग गई।
भाजपा ने हाल ही में सतेंद्र तोमर के स्थान पर पूर्व विधायक तेजेंद्र निर्वाल को भाजपा जिलाध्यक्ष बनाकर एक बार फिर से रालोद और भाकियू के गढ़ में भाजपा ने जो दांव खेला है, इसे 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि नए जिलाध्यक्ष के लिए लोकसभा चुनाव में भाजपा के विजयरथ को लेकर चुनौतियां होगी, लेकिन फिलहाल पश्चिमी यूपी के विभिन्न जिलों में संगठन बदलाव के बाद शामली में संगठनात्मक मजबूती बनी रही और भाजपा लोकसभा चुनाव में विपक्ष को चारों खाने चित करें, इसके लिए हर स्तर पर कवायद हो रही है।
पूर्व विधायक तेजेंद्र निर्वाल की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह के नजदीकियों में गिनती होती है। माना जा रहा है कि भाजपा ने पूर्व विधायक तेंजेद्र निर्वाल पर इसलिए भी बड़ा दांव खेला है, जो संगठन से लेकर आम जनता तक पकड़ बनाने में माहिर है। 23 सितंबर को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य शामली दौरे पर आकर अफसरों के साथ तो बैठक करेंगे साथ ही भाजपा पदाधिकारियों, नेताओं, कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और उनके साथ बैठक भी करेंगे। चर्चा यहीं है कि संगठनात्मक बदलाव के बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य डैमेज कंट्रोल के लिए आ रहे हैं। ताकि वह सब कुछ सामान्य कर सके। कुछ कार्यकर्ताओं में पूर्व विधायक को भाजपा जिलाध्यक्ष बनाने को लेकर नाराजगी है, जिसे दूर करना लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए बहुत जरूरी है। पश्चिमी यूपी में शामली ऐसा जिला है, जहां लोकसभा चुनाव से पहले जिले में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को भेजा रहा है।
वर्ष 2022 में हुए विस चुनाव में रालोद के प्रसन्न चौधरी ने जीत दर्ज की थी। पूर्व विधायक तेजेंद्र निर्वाल को हार का मुंह देखना पड़ा था। कैराना में सपा के नाहिद हसन ने भाजपा प्रत्याशी मृंगाका सिंह और थानाभवन से रालोद के अशरफ अली ने भाजपा प्रत्याशी पूर्व गन्ना मंत्री सुरेश राणा को हराकर जीत दर्ज की थी।
नवागत भाजपा जिलाध्यक्ष तेजेंद्र निर्वाल का कहना है कि डिप्टी सीएम के आगमन को लेकर तैयारी पूरी है। पार्टी कार्यकर्ता एकजुटता के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। पार्टी को एकजुट करने और सरकार और पार्टी की नीतियों को जनता तक पहुंचाने के लिए काम करेंगे।
कैराना लोकसभा चुनाव का इतिहास
1977-चंदन सिंह-(जाट)-बीएलडी
1980 -गायत्री देवी-(जाट)-जनता पार्टी एस
1984-चौधरी अख्तर हसन-(मुस्लिम गुर्जर) कांग्रेस
-1989-हरपाल पंवार -(जाट)-जनता दल
1991 -हरपाल पंवार -(जाट) जनता दल
1996-मुनव्वर हसन (मुस्लिम गुर्जर) सपा
1998-वीरेंद्र वर्मा -(जाट) -भाजपा
1999 -अमीर आलम -(पठान) रालोद
2004-अनुराधा चौधरी – (जाट) सपा-रालोद गठबंधन
2009-तबस्सुम हसन -(मुस्लिम गुर्जर)-बसपा
2014-हुकुम सिंह -(गुर्जर) भाजपा
-2018-तबस्सुम हसन (मुस्लिम गुर्जर) सपा-रालोद गठबंधन (उपचुनाव)
2019-प्रदीप चौधरी (गुर्जर) भाजपा
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