लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मुजफ्फरनगर जिले में निजी क्षेत्र में एक नई वाइनरी की स्थापना के लिए मंजूरी दी है। मेसर्स केडी साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से स्थापित की जाने वाली इस वाइनरी में प्रतिवर्ष 54,446 लीटर शराब का उत्पादन किया जा सकेगा। वाइनरी को गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज का अनुपालन भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गए हैं।
मुजफ्फरनगर वाइनरी की स्थापना से जहां एक तरफ प्रदेश में उत्पादित फलों का उपयोग होगा, वहीं दूसरी तरफ किसानों को फलों का उचित मूल्य प्राप्त होगा। सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। वाइनरी की स्थापना से लगभग 50 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष तथा 150 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकेंगे।
अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि फलों के उत्पादन और विविधता की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में वाइनरी उद्योग की स्थापना के पर्याप्त अवसर हैं तथा उन्हें कच्चा माल आसानी से उपलब्ध होगा। उत्तर प्रदेश में कुल 4.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल पर प्रतिवर्ष 105.41 लाख टन फलों का उत्पादन किया जाता है। 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ देश के फल उत्पादन में यूपी का तीसरा स्थान है।
प्रदेश के सब ट्रापिकल जोन में मुख्य रूप से सहारनपुर, बिजनौर, बरेली, पीलीभीत आदि जिले आते हैं जिनमे लीची, ग्राफ्टेड मैंगो, अनानास, केला आदि फल पैदा किये जाते हैं। बुंदेलखंड क्षेत्र में मुख्य रूप से बेल, नींबू, अमरूद तथा पपीता का उत्पादन किया जाता है। मैदानी क्षेत्र में बेल, आंवला, अमरूद, पपीता, आम जैसे फलों का बहुतायात में उत्पादन होता है। प्रदेश में उत्पादित 60 प्रतिशत फलों का सदुपयोग हो जाता है जबकि 40 प्रतिशत यानी 42.16 लाख टन फल सदुपयोग होने से बच जाते हैं।
प्रदेश में खपत से बचे हुए फलों की कीमत 4,216.40 करोड़ रुपये है। वाइनरी उद्योग की स्थापना से बचे हुए फलों का सदुपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021-22 में घोषित आबकारी नीति के अनुसार प्रदेश में उगाई जाने वाले फलों, सब्जियों, फलों से शराब का उत्पादन करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश में द्राक्षासवनी (वाइनरी) की स्थापना के लिए उत्तर प्रदेश द्राक्षासवनी (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 2022 का प्रकाशन बीती 28 मार्च को किया जा चुका है।