मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच एशिया के डायरेक्टर एलेन पियरसन ने ऑस्ट्रेलिया को चेताया है कि वह भारत के साथ चीन वाली गलती न करे. उनकी इस चेतावनी पर ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्ल्स ने कहा है कि भारत एक विशाल लोकतंत्र है और ऑस्ट्रेलिया उसके साथ समान मूल्य साझा करता है.
एलेन पियरसन ने कहा है कि ऑस्टेलिया ने चीन की सरकार के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए मानवाधिकार की चिंताओं को परे रख दिया था. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को चेताते हुए कहा कि वह भारत के साथ इस तरह की गलती को न दोहराए.
इसे लेकर मंगलवार को रिचर्ड मार्ल्स से सवाल किया गया जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल लोकतंत्र है और इसके मूल्य ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलते हैं.
उन्होंने केनबरा में पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहा, ‘भारत के साथ हमारे रणनीतिक संबंध कभी इतने मजबूत नहीं रहे जितने कि अब हैं. दोनों ही देश इंडो-पेसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए बहुत काम कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच यह संबंध और भी गहरा होता जा रहा है.’
मार्ल्स ने सोमवार को एक रक्षा शिखर सम्मेलन के दौरान कहा था कि ऑस्ट्रेलिया और चीन के रिश्तों की जो कड़वी सच्चाई है, उसे हमें स्वीकार करना होगा. उन्होंने कहा कि चीन के साथ ऑस्ट्रेलिया के व्यापारिक रिश्ते हैं लेकिन चीन में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को अनदेखा नहीं किया जा सकता.
जब उनसे पूछा गया कि मानवाधिकारों के हनन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जब रोक लगाने की बात आती है तो क्या भारत के साथ संबंधों को भी चीन के साथ संबंधों की तरह नहीं देखा जाना चाहिए? जवाब में उन्होंने कहा कि दोनों राष्ट्र बिल्कुल अलग हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम दो बिल्कुल अलग स्थितियों के बारे में बात कर रहे हैं. हमारे और भारत के मूल्य एकसमान हैं और भारत एक लोकतंत्र है.’
पीएम मोदी के ऑस्ट्रेलिया दौरे के समय ही ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बनीज से मीडिया ने तीखे सवाल किए. बुधवार सुबह ऑस्ट्रेलिया के एक पत्रकार डेविड कोच ने भारत में मानवाधिकारों की स्थिति को लेकर अल्बनीज से सवाल किया कि क्या उन्हें नहीं लगता कि मोदी कुछ हद तक तानाशाह हैं?
कोच ने कहा कि कई ऑस्ट्रेलियाई लोगों की तरह वो भी इस बात पर सोचते हैं कि पीएम मोदी अपने देश में 80 प्रतिशत लोगों के बीच लोकप्रिय कैसे हैं.
उन्होंने कहा कि मोदी का जो इतिहास रहा है, उसे लेकर वो चिंतित हैं, खासकर उन पर आरोप लगते हैं कि वो प्रेस की स्वतंत्रता को दबाते हैं, अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव करते हैं और उन्होंने लोकतंत्र को कमजोर किया है. कोच ने सवाल किया, ‘ऐसा नहीं लगता है कि वो थोड़े तानाशाह किस्म के हैं?’
इन सवालों के जबाव में ऑस्टेलियाई प्रधानमंत्री अल्बनीज ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. उन्होंने कोच से कहा कि मोदी ने अपने शासनकाल में भारत से गरीबी को कम करने की कोशिश की है और भारतीयों के लिए अवसरों को बढ़ाया है.
उन्होंने भारत के विकास की तारीफ में कहा, ‘हमने भारत का जो विकास देखा है, वो अद्भुत है. और प्रधानमंत्री मोदी सच में बहुत लोकप्रिय हैं, सबके बीच नहीं….भारत एक लोकतंत्र हैं और वो वहां के अधिकांश लोगों के बीच लोकप्रिय हैं.’
एबीसी के पत्रकार माइकल रॉलैंड ने भी मोदी को लेकर अल्बनीज से तीखे सवाल किए. उन्होंने कहा, ‘मोदी पर अपने राजनीतिक विरोधियों को दबाने, मीडिया की स्वंतत्रता को कम करने और मुसलमानों के साथ भेदभाव करने का आरोप है. क्या इनमें से कोई आरोप आपको परेशान करता है?’
अल्बनीज ने जवाब दिया, ‘यहां ऑस्ट्रेलिया में, लोगों को अपनी बात शांतिपूर्ण तरीके से रखने का अधिकार है…और हम सबकी नेताओं को लेकर भी अलग-अलग राय होती है. ऑस्ट्रेलिया निश्चित रूप से हमेशा मानवाधिकारों के लिए खड़ा होता है वो चाहे दुनिया में कहीं भी हो.’