देहरादून। फर्जी डॉक्टर मामले में पुलिस भारतीय चिकित्सा परिषद के पूर्व अधिकारियों से भी पूछताछ करेगी। कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से ही फर्जी डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन परिषद में कराया गया था। यह काम 10 साल से चल रहा था। ऐसे में बहुत से अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
बता दें कि एसटीएफ ने मामला सामने आने के बाद सबसे पहले परिषद के अधिकारियों से जानकारी मांगी थी, लेकिन कुछ अधिकारियों ने जानकारी देने से इनकार कर दिया। बार-बार पत्राचार भी किया गया, लेकिन उत्तर नहीं मिला। अब जांच पुलिस टीम कर रही है।
पुलिस ने भी अपने स्तर से काफी जांच कर ली है। सामने आ रहा है कि 10 साल पहले इस तरह के रजिस्ट्रेशन की शुरूआत की गई थी। इसमें मिलीभगत के काफी साक्ष्य भी पुलिस को मिल चुके हैं। ऐसे में जल्द ही इन अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की जाएगी।
इमलाख मुजफ्फरनगर का हिस्ट्रीशीटर है। साथ ही कुछ साल पहले उसके खिलाफ गैंगस्टर में भी कार्रवाई की गई थी। जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर ने उसकी 25 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त करने के आदेश भी दिए थे, लेकिन इमलाख अपनी पहुंच और चालाकी से मामले में स्टे पा चुका है। अब उसकी संपत्तियों की जांच देहरादून पुलिस भी कर रही है। एसपी क्राइम ने बताया कि इमलाख और उसके भाई की करोड़ों की संपत्तियों का पता चल चुका है। ऐसे में जिला प्रशासन मुजफ्फरनगर से दोबारा उसकी संपत्तियों को जब्त कराने की अपील की जाएगी।