सहारनपुर: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की मुख्य फसल गन्ना है. गत कई वर्षों में कोशा-0238 प्रजाति का गन्ना किसानों के लिए काफी अच्छा साबित हुआ, लेकिन अब इस प्रजाति में बीमारी का असर दिखने लगा है. इससे मिल व किसान दोनों को हानि हो रही है. क्योंकि बीमारी की वजह से किसान को लागत ज्यादा लगानी पड़ रही है और शुगर मिल को भी इस प्रजाति से उत्पादन में कमी आ रही है. ऐसे में अब गन्ना विभाग के अधिकारियों ने 0238 प्रजाति में बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है.
सहारनपुर के कृषि अधिकारियों ने गन्ने की कोशा-0238 प्रजाति में बदलाव के लिए काम शुरू कर दिया है. गन्ने की इस प्रजाति में लाल सड़न सहित अन्य रोगों के बढ़ते प्रकोप के चलते गन्ना विभाग प्रजाति बदलाव में जुट गया है. इस मुहिम में जनपद को गन्ना शोध केंद्रों से विभिन्न नई और उन्नतशील प्रजातियों के गन्ने के बीज का आवंटन हुआ है. गन्ना विभाग द्वारा इसके आधार पर प्राथमिक पौधशालाएं स्थापित की जा रही हैं. उनका मानना है कि यह योजना किसानों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी.
सहारनपुर में कुल गन्ना क्षेत्रफल में करीब 90 प्रतिशत में किसान गन्ने की कोशा-0238 प्रजाति की खेती हो रही है. कई वर्षों से अच्छी पैदावार दे रही गन्ने की इस प्रजाति में लाल सड़न सहित कई रोगों का प्रकोप बढ़ने के कारण इसकी उत्पादकता कम हुई है. वहीं, कीटनाशकों का अधिक प्रयोग होने से किसानों को इसमें अधिक लागत भी लगानी पड़ रही है. इस समस्या के चलते ही गन्ना विभाग 0238 प्रजाति के बदलाव करने में जुट गया है. इसके लिए गन्ना शोध संस्थानों से नई एवं उन्नतशील प्रजातियों का आवंटन हुआ है, जो जल्दी ही किसानों के लिए उपलब्ध होंगी.
जिला गन्ना अधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि गन्ने की जिन प्रजातियों का गन्ना शोध केंद्र से आवंटन हुआ है. उनमें अगेती प्रजातियों में कोलक-14201, को-15023, कोशा-13235, कोशा-13231 आदि शामिल हैं. इसके अलावा सामान्य प्रजातियों में कोशा-12232, कोशा-8279, को-12029, कोशा -11453, को-05011 प्रमुख हैं. उन्होंने बताया कि उत्पादन के हिसाब से इन प्रजातियों का गन्ना लगाने से किसानों को निश्चित रूप से लाभ होगा.
जिला गन्ना अधिकारी सुशील कुमार ने बताया कि उन्नतशील प्रजातियों का बीज गन्ना शोध केंद्र व शाहजहांपुर आदि स्थानों से आवंटित किया जा रहा है. किसानों के लिए नई और उन्नतशील प्रजातियों को गन्ना विभाग तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराएगा. बताया कि शोध केंद्र से आवंटित इस बीज से जनपद में किसानों के यहां आधार एवं प्राथमिक पौधशालाएं तैयार कराई जाएंगी. अगले वर्ष तक पौधशालाओं से इस बीज को किसानों को बुआई के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. बताया कि गन्ना प्रजाति बदलाव के लिए जनपद को बसंतकालीन गन्ना बुआई के लिए गन्ना शोध संस्थानों से 10.770 लाख सिंगल बड़ (आंख) आवंटित की गई हैं. इसके अलावा गन्ना विभाग को 1415 क्विंटल गन्ने के बीज का आवंटन भी हुआ है. सुशील कुमार ने बताया कि इस समय जनपद में नई और उन्नतशील प्रजातियों की बुआई चल रही है.