अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। एससी-एसटी (अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति) और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के आरक्षित बैकलाग पदों को लेकर केंद्र सरकार जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे हैं, उनमें खाली पदों को भरने की एक समयसीमा तय की जा सकती है। सभी संबंधित विभागों को उसी समयसीमा के भीतर इन खाली पदों को भरना होगा। खास बात यह है कि इस व्यवस्था के बाद कोई भी विभाग बैकलाग के आरक्षित पदों को ज्यादा समय तक खाली नहीं रख सकेगा।
वैसे भी बैकलाग के खाली पदों को लेकर जिस तरह से राजनीति होती रहती है, उसे देखते हुए सरकार इसका समुचित समाधान भी निकालना चाहती है। हाल ही में ओबीसी की पहचान करने और उनकी सूची बनाने के लिए राज्यों के अधिकार बहाल करने को लेकर संसद में संविधान संशोधन पर चर्चा के दौरान भी विपक्ष ने बैकलाग पदों को मुद्दा बनाया था। साथ ही इन पदों को जल्द भरने की मांग की थी। फिलहाल सरकारी विभागों में पदों का खाली होना और भर्ती होना एक सतत प्रक्रिया है। बैकलाग पदों को भरने से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को जिम्मा सौंपा जा सकता है।
बैकलाग पदों पर सरकार ने यह सक्रियता उस समय दिखाई है, जब आने वाले महीनों में उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। वैसे भी अकेले केंद्र में मौजूदा समय में बैकलाग के करीब 42 हजार पद खाली पड़े हैं। इनमें 15 हजार से ज्यादा पद ओबीसी के हैं। संसद में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में केंद्र सरकार से जुड़े आठ विभागों में बैकलाग के पद खाली हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र के विभागों में जनवरी 2020 की स्थिति में करीब 8.72 लाख पद खाली हैं। इन विभागों में स्वीकृत पदों की कुल संख्या 40 लाख से ज्यादा है। इसके मुकाबले करीब 31 लाख पद ही भरे हुए हैं।
बैकलाग के दायरे में वह पद आते हैं, जिनकी भर्ती के पहले प्रयास में उस वर्ग के पर्याप्त संख्या में उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में इन सभी खाली पदों को बैकलाग कोटे में डाल दिया जाता है। इसे अगली भर्ती में अलग से सूचित कर भर्ती करने का प्रविधान है।