लखनऊ। योगी आदित्यनाथ सरकार मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान के तहत 10 सालों में 10 लाख सूक्ष्म इकाइयों की स्थापना कराएगी। हर साल एक लाख ऐसी इकाइयां खोलकर युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। पहले चरण में पांच लाख रुपये तक की इकाई लगाने वालों को अनुदान दिया जाएगा।
प्रदेश में अर्थ-व्यवस्था में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि क्षेत्र के बाद सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सर्वाधिक रोजगार प्रदान करता है। मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान मिशन मोड पर चलाया जाएगा। जिलों में जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र केंद्रीय एजेंसी होगा। इससे गांवों से लेकर शहरों तक रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे। इसके लिए कक्षा आठ पास वाले पात्र होंगे। इंटरमीडिएट और इसके समकक्ष वालों को वरीयता दी जाएगी।
आवेदन के लिए सरकार द्वारा संचालित प्रशिक्षण योजनाएं जैसे विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, एक जनपद एक उत्पाद प्रशिक्षण टूल किट योजना, अनुसूचित जाति, जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग प्रशिक्षण योजना, उत्तर प्रदेश स्किल डवलपमेंट मिशन द्वारा संचालित कौशल उन्नयन आदि में प्रशिक्षण प्राप्त वाले पात्र होंगे। इसके साथ ही मान्यता प्राप्त विद्यालय व शैक्षिक संस्था से कौशल संबंधी कोर्स, डिप्लोमा या डिग्री वाले भी पात्र होंगे। अधिकतम पांच लाख रुपये की परियोजना पर अनुदान दिया जाएगा। पांच लाख से अधिक 10 लाख रुपये तक की इकाइयों के लिए लाभार्थी को अपने स्रोत से पैसे का इंतजाम करना होगा। इस पर कोई अनुदान नहीं दिया जाएगा।
सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को परियोजना का 15þ, ओबीसी 12.5þ, एससी, एसटी और दिव्यांगजन लाभार्थियों को 10þ अंशदान जमा करना होगा। आर्थिक रूप से पिछड़े बुंदेलखंड और पूर्वांचल क्षेत्र के साथ आकांक्षात्मक जिलों चित्रकूट, चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, बहराइच के लाभार्थियों को भी 10þ अंशदान जमा करना होगा। परियोजना की लागत या अधिकतम पांच लाख के ऋण पर शत-प्रतिशत ब्याज अनुदान चार सालों के लिए दिया जाएगा। सीजीटीएमएसई कवरेज का खर्च भी चार सालों तक राज्य सरकार उठाएगी।
चार सालों में मूलधन की पेनल इंट्रेस्ट सहित वापसी करने वाले लाभार्थी दूसरे चरण के वित्त पोषण के लिए पात्र होंगे। दूसरे चरण में परियोजना विस्तार की सीमा अधिकतम 10 लाख रुपये होगी। पहले चरण में लिए गए ऋण का अधिकतम दोगुना या 7.50 लाख जो कम होगा उस पर 50 प्रतिशत अनुदान तीन सालों के लिए दिया जाएगा। दूसरे चरण में मार्जिन मनी सब्सिडी देय नहीं होगी, लेकिन सीजीटीएमएसई कवरेज राज्य सरकार देगी। लाभार्थी को परियोजना लागत या अधिकतम पांच लाख जो भी कम होगा 10 प्रतिशत मार्जिन मनी अनुदान के रूप में दिया जाएगा। डिजिटल लेनदेन पर एक रुपये प्रति ट्रांजैक्शन और अधिकतम 2000 प्रति वर्ष का अतिरिक्त अनुदान हर इकाई को दिया जाएगा।