मुज़फ्फरनगर : अक्सर सुर्खियों में रहने वाले मुजफ्फरनगर का इतिहास काफी पुराना है. कहा जाता है यहां के अक्षयवट वाटिका में गोस्वामी शुकरदेव ने राजा परीक्षित को भागवत पुराण का ज्ञान दिया था. इस शहर की जड़ें हड़प्पा सभ्यता और महाभारत युग तक जाती हैं. मुगल काल में यह शहर सहारनपुर के शासक के अधीन था. यूपी के पश्चिमी भाग यमुना और गंगा नदी के दोआब पर बसा मुजफ्फरनगर मेरठ और सहारनपुर के बीच है. आज की तारीख में यह प्रमुख औद्योगिक शहरों में से एक है. यह शहर गन्ना की खेती के लिए काफी मशहूर है. जाट बहुल इस क्षेत्र में अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है.
दरअसल, मुजफ्फरनगर का इतिहास काफी समृद्ध है. इसकी जड़े मुगल काल, हड़प्पा सभ्यता और महाभारत युग तक जाती है. इस शहर की पृष्ठभूमि को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कई खुलासे किए और कई अवशेष भी मिले. जिसके बारे में बताया गया कि वे हड़प्पाकालीन हैं. दावा तो यह भी किया जाता है कि मुजफ्फरनगर के गांव में महाभारत काल की कई लड़ाईयां भी हुई थी.
रिपोर्ट्स की मानें तो 1633 में मुगल बादशाह शाहजहां ने इस शहर की स्थापना की थी. तब शाहजहां ने इसका नाम अपने सरदार सैयद मुजफ्फर खान के नाम पर रखा था. स्थापना से पहले इस इलाके को सरवट के नाम से जाना जाता था. सरवट मुगल काल में सहारनपुर के शासक के अधीन हुआ करता था. इतिहासकारों की मानें तो यहां पीर खान लोदी को हराकर शाहजहां ने इस क्षेत्र को मुजफ्फर खान को जागीर के तौर पर दिया था. फिर बाद में अपने पिता की याद में मुजफ्फर खान के बेटे मुनव्वर लश्कर खान ने इसका नाम मुजफ्फरनगर रख दिया, तभी से यह मुजफ्फरनगर कहा जाने लगा. यहां मुगलों की शैली और वास्तुकला फैली हुई है.
काली नदी के किनारे बसा मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, और हस्तिनापुर जैसे ऐतिहासिक शहरों के पास है. इस शहर का आजादी की लड़ाई में भी अहम योगदान रहा है. दरअसल, अंग्रेजों ने इसे ईस्ट इंडिया कंपनी का अपना खास केंद्र बनाया हुआ था. जब 1857 में पहली बार स्वतंत्रता संग्राम का दौर आया तो यहां स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक ऑफिस बनाया गया. महात्मा गांधी, सुभाष बोस, जवाहरलाल नेहरू जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने इसका दौरा किया था. इतना ही नहीं, यहां 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भी खास गतिविधियां देखी गईं थीं.
जब बात यूपी के प्रमुख पर्यटन स्थलों की होती है तो सबके जहन में लखनऊ, मथुरा, आगरा, अयोध्या, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद और झांसी जैसे शहरों का नाम ही आता है, लेकिन उत्तराखंड की सीमा पर स्थित मुजफ्फरनगर शहर के पर्यटन स्थल भी किसी अन्य पर्यटन स्थलों से कम नहीं हैं. यहां शुक्रतीर्थ-शुक्रताल, अक्षय वट, हनुमत धाम, जूलॉजिकल पार्क और वहलना समेत कई स्थान हैं. कहा जाता है कि शुक्रतीर्थ का इतिहास तकरीबन 5 हजार साल पुराना है. यहीं गोस्वामी शुकदेव ने अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित को भागवत पुराण की कथा सुनाई थी. यहां हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक गंगा में डुबकी लगाने आते हैं.