गोड्डा: ठंड के मौसम में जैसे-जैसे शीत लहर चलने लगती है, ग्रामीण क्षेत्रों में सांप निकलने का खतरा बढ़ जाता है. गोड्डा के आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में सांप भगाने के लिए खास टोटका अपनाया जाता है. जब घर में सांप घुसने की आशंका होती है या आसपास किसी जहरीले सांप का होना का संदेह होता है तो कोढ़ी की खल्ली जला कर घर के तीन कोनों में इसका धुआं किया जाता है. इसके बाद, बाकी बचे एक कोने से सांप बाहर निकल जाता है.
गोड्डा के महगामा के कुशमी गांव निवासी बीरबल यादव ने बताया कि सदियों से गांव में इसी विधि से सांप भगाया जाता है. इसमें कुचड़ा बीज से खल्ली बनाई जाती है, जिसे गाय के गोबर से बने गोयठा (जलावन) के ऊपर छोटे टुकड़ों में रखकर घर के तीन कोनों में धुआं किया जाता है. यह विधि आदिवासी संस्कृति में न केवल एक पारंपरिक सांप भगाने का तरीका है, बल्कि यह उनके पर्यावरणीय ज्ञान को भी दर्शाती है. इसमें किसी प्रकार का रसायन नहीं होता. इससे न तो पर्यावरण को नुकसान होता है और न ही किसी को चोट पहुंचती है.
कोढ़ी की खल्ली और गाय के गोबर से बने धुएं सांपों को असहज करते हैं, क्योंकि सांप अत्यधिक संवेदनशील घ्राण शक्ति रखते हैं. इस तीव्र गंध के कारण वे सांस नहीं ले पाते और घबराकर बाहर निकलने का प्रयास करते हैं. इस विधि से घरों तो क्या आसपास भी सांप नहीं भटकते हैं.
इसे अपनाने में ग्रामीणों को किसी विशेष उपकरण या खर्च की आवश्यकता नहीं होती. यह विधि न केवल आर्थिक रूप से सस्ती है, बल्कि सुरक्षित भी है. यह पीढ़ियों से आदिवासी समुदायों में उपयोग में लाई जा रही है, जिससे उनकी सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक ज्ञान भी संरक्षित रहता है. इस तरीके से सांप को बिना नुकसान पहुंचाए भगाया जा सकता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के लिए फायदेमंद है, क्योंकि सांप कृषि में हानिकारक कीड़ों को नियंत्रित करते हैं.