नई दिल्ली: कोचिंग संस्थानों, राजनीतिक दलों, किसी अन्य के बहकावे में आकर या फिर खुद से ही मन बनाकर अग्निपथ योजना के विरोध में उत्पात मचाने वालों को सेना की चेतावनी सुन लेनी चाहिए। चूंकि यह चेतावनी सरकार या किसी राजनीतिक दल की तरफ से नहीं बल्कि सेना से है तो युवाओं को सिर्फ सुननी नहीं बल्कि गांठ भी बांध लेनी चाहिए क्योंकि वहां हीलाहवाली की गुंजाइश के बारे में सोच भी नहीं सकते। सेना ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जिन युवाओं की पहचान उपद्रवियों को रूप में हो गई, उन्हें आजीवन सेना की नौकरी से बैन कर दिया जाएगा। यानी, उपद्रव करते हुए किसी भी तरह के सबूत मिल गए तो किसी भी सूरत में कभी सैन्य सेवा का सपना तो पूरा नहीं कर पाएंगे। तोड़फोड़ और हिंसा के जरिए अग्निपथ स्कीम को वापस करवा देने का मुगालता पालने वालों को भी समझ जाना चाहिए कि उपद्रव करके सेना को झुकाया नहीं जा सकता है। यही वजह है कि सेना ने रविवार को दोटूक कह दिया कि अग्निपथ योजना वापस नहीं ली जाएगी।

सेना ने रविवार को बताया कि अगले हफ्ते अग्निवीरों की भर्ति प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और पहली खेप के अग्निवीरों का प्रशिक्षण कार्यक्रम नवंबर-दिसंबर से शुरू हो जाएगा। रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामलों के विभाग के एडिशनल सेक्रेटरी लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि सरकार और समाज विरोधी तत्व एवं सेना में भर्ती के लिए युवाओं को तैयार करने वाले कोचिंग सेंटर अग्निपथय स्कीम के खिलाफ युवाओं को भड़का रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर बैच के 75 प्रतिशत अग्निवीरों के लिए तरह-तरह की घोषणाएं की जा रही हैं जो चार वर्ष बाद नौकरी से निकल जाएंगे। केंद्रीय पुलिस बलों, असम राइफल्स, कोस्ट गार्ड और रक्षा क्षेत्र की 16 सरकारी कंपनियों में 10 प्रतिशत आरक्षण भी इनमें शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘इन सबकी योजना अग्निपथ स्कीम तैयार करने के साथ ही बना ली गई थी।’

लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा, ‘भारतीय सेना की नींव अनुशासन पर टिकी है। आगजनी और तोड़फोड़ की कोई जगह ही नहीं है। एक-एक युवा को शपथ पत्र देना होगा कि वह अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रदर्शन या तोड़फोड़ में शामिल नहीं था। आर्मी में अनुशासनहीनता की कोई जगह नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा कि पुलिस एफआईआर में जिन युवाओं के नाम शामिल हैं, जिनके वीडियो और फोटो हैं, उनका प्रॉपर आधार वेरिफिकेशन करवाकर सेना की जॉब से बैन किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘किसी की भर्ती बिना पुलिस वेरिफिकेशन के नहीं होगा।’

अग्निपथ योजना की घोषणा बीते मंगलवार को हुई थी और अगले ही दिन बुधवार से कई राज्यों में तोड़फोड़ और आगजनी शुरू हो गई। कम से कम सात राज्यों में युवा प्रदर्शन के लिए निकले। बिहार में सबसे ज्यादा उत्पात मचाया गया और कई ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया गया। सेना का कहना है कि इस वर्ष 46 हजार अग्निवीरों की भर्तियां की जाएंगी। इनमें 40 हजार आर्मी जबकि 3-3 हजार एयरफोर्स और नेवी में जाएंगे। साथ ही कहा गया है कि अगले 7-8 वर्षों तक भर्तियों में सवा लाख का इजाफा हो जाएगा।

अग्निवीरों की सबसे पहली भर्ती नौसेना में होगी जिनमें कुछ महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा। पहली खेप के अग्निवीर 21 नवंबर को ओडिशा में तैनात आईएनएस चिल्का में पहुंच जाएंगे जहां उनकी ट्रेनिंग होगी। वाइस एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा, ‘हम 25 जून तक भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा। नेवी में महिला-पुरुष दोनों की भर्तियां होंगी।’ वहीं, आर्मी 1 जुलाई को सभी रिक्रूटमेंट ऑफिसों को अपना फॉर्मल नोटिफिकेशन भेजेगा। अग्निवीरों को दो बैचों में भर्ती किया जाएगा। करीब 25 हजार का पहला बैच दिसंबर में जबकि करीब 15 हजार का दूसरा बैच फरवरी में ट्रेंड किया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल सीबी पोन्नप्पा ने कहा, ‘अगस्त के पहले सप्ताह में रिक्रूमेंट रैलियां निकलेंगी जो नवंबर तक चलेंगी। सभी राज्यों में 83 रैलियां आयोजित करने का प्लान है।’

उधर, वायुसेना के लिए नोटिफिकेशन और रजिस्ट्रेशन प्रोसेस 24 जून को शुरू हो जाएगा। एयर मार्शल एस. के. झा ने बताया कि पहले बैच की ट्रेनिंग दिसंबर के आखिर से शुरू हो जाएगी। लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने बताया कि अग्निपथ स्कीम 14 लाख की स्ट्रेंग्थ वाली भारतीय सेना को युवा और भविष्य को युद्धों के मद्देनजर ज्यादा टेक्नॉलजी ऑरियेंटेड बनाने के लिए लाई गई है। सेना में सुधार वर्ष 1989 से ही लंबित था। करगिल रिव्यू कमिटी और अरुण सिंह कमिटी रिपोर्ट आदि ने इसका सुझाव दिया था।