मुजफ्फरनगर। गादला गांव के 28 साल पुराने मारपीट के मामले में तीन दोषियों को अदालत ने तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-एक के पीठासीन अधिकारी रजनीश कुमार ने फैसला सुनाया। यह जिले के सबसे पुराने मुकदमों में से एक था। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी आशीष त्यागी ने बताया कि भोपा क्षेत्र के गादला गांव निवासी वादी मुकदमा खलील अहमद ने 28 जून 1996 को भोपा थाने पर मुकदमा दर्ज कराया था कि पारिवारिक भाई इकबाल के घेर के पास मकानों से आरोपी युनूस के पोते पतंग उड़ा रहे थे।
इस दौरान इकबाल ने उन्हें पतंग उड़ाने से मना किया। इससे नाराज होकर रात करीब आठ बजे आरोपी युनूस, शमशाद, रागिब, कल्लू ने इकबाल को हमला कर घायल कर दिया। हमले में पीड़ित की बाएं हाथ और बाएं पैर की हड्डी टूट गई थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। प्रकरण की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या एक में हुई। ट्रायल के दौरान आरोपी युनूस की मौत हो गई।
वर्ष 2001 में वादी खलील अहमद और इकबाल की गवाही अदालत में हुई थी। इसके बाद हाईकोर्ट से मुकदमा की सुनवाई पर स्टे आ गया था। स्टे हटा तो साक्षी का अदालत में 28 साल बाद बयान हुआ, लेकिन इस बीच गवाह पक्षद्रोही हो गए।दोषी शमशाद, रागिब और कल्लू धारा 452 और धारा 325/34आईपीसी मे तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई। दोषियों पर 12 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया।