मेरठ। मेरठ और आसपास के जिले मानसून की वर्षा से तराबोर है। अभी यह सिलसिला जारी रहेगा। इस बार सितंबर माह के अंत में मानसून की जोरदार बारिश देखने को मिल रही है। छह दिनों से पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश हो रही है। गुरुवार की रात से शुरू हुआ बारिश का सिलसिला शुक्रवार की सुबह भी जारी रहा।
मेरठ में गुरुवार को अधिकतम तापमान 29.0 और न्यूनतम तापमान 23.2 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं इस बीच बागपत में डीएम राजकमल यादव ने भारी वर्षा होने की संभावना के चलते सभी बोर्ड के स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों का शुक्रवार को अवकाश घोषित कर दिया है।
मेरठ में लगातार छठे दिन वर्षा जारी है। गुरुवार को शाम तक 14 मिमी वर्षा हुई। भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम के मौसम विज्ञानी डा. एन. सुभाष ने बताया कि सितंबर के तीसरे सप्ताह में 2016 के बाद पहली बार बरसात हो रही है। गुरुवार तक 95 मिमी वर्षा हो चुकी है। शुक्रवार को भी बादल छाए रहेंगे और वर्षा की संभावना है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार 25 सितंबर तक बूंदाबांदी जारी रहने की संभावना है।
मेरठ में विदाई की बेला में मानसून मेहरबान हो रहा है। बता दें कि बुधवार सुबह से तेज धूप के बाद दोपहर 12 बजे के बाद शहर का मौसम बदल गया था। लगातार पांचवें दिन जनपद में बारिश हुई। मौसम विभाग ने शाम साढे पांच बजे तक 7.5 मिलीमीटर बारिश दर्ज की। वहीं सुबह अधिकतम तापमान जहां 32.2 डिग्री तक पहुंच गया अचानक गिर कर 26 डिग्री तक पहुंच गया। दिन में रुक रुक कर बूंदा बांदी चलती रही। रात में भी बारिश आरंभ हो गई थी।
शामली में गुरुवार को सुबह से ही तेज वर्षा शुरू हो गई। इससे जगह जगह जलभराव हो गया। सुबह सवेरे आसमान में बादल छाए रहे। हल्की हवा भी चलती रही। इससे मौसम का सुहाना रहा। गर्मी से निजात के साथ ही लगातार हो रही वर्षा के कारण फसलों को भी नुकसान का अनुमान जताया जा रहा है। किसानों का कहना है कि निरंतर वर्षा से धान, गोभी, लौकी आदि फसलों को नुकसान हो सकता है। वर्षा से धान का दाना क़ल पड़ सक़ता है। हालांकि गन्ना व हरे घास की फसल को इससे लाभ रहेगा।
सहारनपुर : बेहट में बुधवार दोपहर बाद से शिवालिक पहाड़ियों पर जहां अच्छी खासी बरसात हो रही है। वही मैदानी क्षेत्र में भी रिमझिम बारिश है। पहाड़ियों की बरसात के चलते घाड़ क्षेत्र की कई नदियों में तेज धार के साथ बाढ़ के हालात बने हुए हैं। शाकंभरी नदी तो बार-बार अपना रौद्र रूप दिखा रही है।
लेकिन अभी तक व्यवस्थाओं को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इस मेले का मंदिर से बाहर का पूरा आयोजन जिला पंचायत के हाथों में रहता है। जिला पंचायत ने मेले परिक्षेत्र में तैयारियां भी शुरू कर दी थी। जिसमें सबसे पहले शाकंभरी से भूरा देव तक नदी के रास्ते को समतल करने का काम शुरू किया गया था जो काफी हद तक हो भी चुका था।
नदी में बाढ़ आ जाने के बाद फिर से पहले जैसे हालात बने। ऐसा एक नहीं दो बार हो चुका है। बैरिकेटिंग और लाइट फीटिंग के लिए भी बल्लियां आदि लगा दी गई थी। लेकिन बुधवार की शाम आई बाढ़ ने बैरिकेटिंग व लाइट फिटिंग की बल्लियों को भी बहा दिया। ऐसी स्थिति में सिद्ध पीठ परिक्षेत्र में मेले की व्यवस्थाओं को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।