मुजफ्फरनगर। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता की नादिर शाही को लेकर उद्यमियों में गुस्सा है। उनका आरोप है कि उक्त अधिशासी अभियंता ने पूरी तरह उद्यमियों को अंधेरे में रखकर जिस तरह कार्रवाई की है उससे उद्यमियों को जो नुकसान हुआ है उसके लिए उक्त अधिकारी जिम्मेदार है। ऐसे में इस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग उद्यमी कर रहे हैं।

गत दिवस सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता के आदेश पर फैक्ट्रियों में की गई तोडफोड को लेकर आर्य समाज रोड स्थित सिंचाई विभाग के डाक बंगले पर बुलाई गई बैठक में राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल के सामने उद्यमियों ने सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता पर गंभीर आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया था। इस दौरान उद्यमियों ने राज्यमंत्री के सामने ही अधिशासी अभियंता और उद्यमियों के बीच धक्का-मुक्की और हाथापाई की नौबत आ गई थी। इस दौरान राज्यमंत्री कपिलदेव ने बीच बचाव कर मामले को शांत किया। हालांकि इस दौरान अपनी सफाई देते हुए सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ने अपनी गलती स्वीकार भी की।

मामला सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता हरि शर्मा के नेतृत्व में 16 अगस्त को एटूजेड कालोनी रोड से आगे रजवाहे की भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने का अभियान चलाते हुए उद्यमियों पर फैक्ट्री के अंदर रजवाहे की भूमि को दबाने का आरोप लगतो हुए मेरठ रोड पर स्थित करीब 12 फैक्ट्रियों की दीवारों को अवैध अतिक्रमण बताते हुए जेसीबी मशीन से ध्वस्त कर दिया गया था। इसे लेकर उद्यमियों का कहना था कि बिना पूर्व सूचना या नोटिस अथवा नपाई किए सिंचाई विभाग ने यह कार्रवाई की है। इससे उद्यमियों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

आईआईए के अध्यक्ष विपुल भटनागर का कहना है कि उद्यमियों को आज तक नहीं बताया गया कि कितना और कहां अतिक्रमण है। उनका कहना है कि उक्त नाला करीब पचास साठ साल पुराना है और इसके एक तरफ कारखाने और दूसरी ओर खेत हैं। सिंचाई विभाग का कहना है कि कागजों पर नाले की चौडाई 30 फीट है, जबकि वास्तव में यह 29 फीट रह गई है। विभाग के अधिशासी अभियंता का कहना है कि इसे लेकर 2010 में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी। उद्यमियों का कहना है कि विभाग की ओर से इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने के बाद एक बार भी कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा और ना ही अपने दावे को साबित करने के लिए मौके पर नपाई का काम कराया। कोर्ट में तब से इस मामले में केवल तारीख लग रही हैं। मंत्री द्वारा पूछे जाने पर अधिशासी अभियंता ने मार्च 2020 का एक पत्र भी दिखाया जिसमें अतिक्रमण की बात कही गई है। उनका गुस्सा इस बात पर है कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने मौके पर नपाई कराने का झूठ बोलकर नादिरशाही फरमान जारी करते हुए जेसीबी लेकर एक दर्जन फैक्ट्रियों की दीवारों को तोड दिया गया। इस मामले में संबंधित कारखानों को कोई नोटिस देने या उनका पक्ष जानने तक का प्रयास नहीं किया गया। ना ही मौके पर अतिक्रमण को चिह्नित करने की कार्रवाई की गई। मंत्री कपिलदेव अग्रवाल के सामने भी उक्त अधिकारी झूठ बोलते रहे। हालांकि जब उनके स्टाफ ने नपाई ना कराने की बात स्वीकार की तो उन्होंने अपनी गलती मानी। हालांकि इसके बाद भी वह लगातार उद्यमियों से अभद्रता करते रहे। इसे लेकर नोंकझोंक हुई, लेकिन राज्यमंत्री तथा तमाम उद्यमियों ने ही स्थिति कोेेेेेेेेेेेेेेेेेेे संभाला।

आईआईए के पूर्व अध्यक्ष पवन गोयल का कहना है कि सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता की कार्रवाई पूरी तरह से अनुचित और एक तरफा है। इसके लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उनका कहना है कि सिंचाई विभाग की भूमि पर बडे पैमाने पर खुद विभाग के अधिकारी कब्जे कराते हैं। इसके अलावा रजबाहों की सफाई तथा दूसरे नाम पर करोडों रुपये डकारे जाते हैं। इसकी जांच की जानी चाहिए।