नई दिल्ली. हफ्ते का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना का दिन है. माना जाता है कि शिवजी मात्र जल चढ़ाने से ही भक्तों से प्रसन्न हो जाते और उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं. लेकिन शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय दिशा का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. कहते हैं कि गलत तरीके से या गलत दिशा में खड़े होकर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भोलेनाथ रुष्ट हो जाते हैं.
भोलेनाथ को जल चढ़ाने के कुछ नियम हैं. अगर इन नियमों के अनुसार उनका अभिषेक किया जाएं तो वह भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. आइए जानते हैं शिवजी पर जल चढ़ाने के नियम.
– शिवजी पर जब भी जल चढ़ाने जाएं ध्यान रखें कि शिवजी पर कभी भी खड़े हो कर जल नहीं चढ़ाया जाता. अक्सर लोग शिवजी का जलाभिषेक खड़े हो कर करते हैं जो गलत हैं. शिवजी का जलाभिषेक हमेशा बैठकर किया जाता है. खड़े होकर शिव को जल चढ़ाना अच्छा नहीं माना जाता.
– शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय दिशा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. शिवलिंग पर जल हमेशा दक्षिण दिशा में खड़े होकर ही चढ़ाना चाहिए. कहते हैं कि इस दिशा में खड़े होकर जल चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी होती है.
– शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जल हमेशा उत्तर दिशा की ओर से शिवलिंग पर गिर रहा हो, कहते हैं ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
– शास्त्रों के अनुसार शिवजी पर जल चढ़ाते समय कभी भी मुंह उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा में नहीं रखना चाहिए. मान्यता है कि इन दिशाओं में शिवजी की पीठ होती है. अगर इन दिशाओं में मुंह करके जलाभिषेक करते हैं तो इसका पूरी फल नहीं मिलता.
– शिवजी को जल चढ़ाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जब भी जल छोड़े इसे धीरे-धीरे गिरने दें. इससे भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों को अपना आशीर्वाद देतें हैं.
– शास्त्रों में कहा जाता है कि शिवजी पर जल चढ़ाने के बाद पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए. मान्यता है कि जो जल अर्पित किया जाता है जहां से वह बाहर निकलता है उसे गंगा माना जाता है और गंगा मां को कभी लांघना नहीं चाहिए.
– शिवजी का जलाभिषेक करते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि इस दौरान उचित मंत्रों का उच्चारण करें.