मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को एक युवक की उस याचिका को खारिज कर दी जिसमें उसने दुष्कर्म के बाद शादी से बचने के लिए ‘ज्योतिषीय असंगति’ का हवाला दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि ‘ज्योतिषीय असंगति’ के आधार पर दुष्कर्म के मामले से बरी नहीं किया जा सकता है। आप इस तरह का बहाना देकर आरोप मुक्त नहीं हो सकते हैं।
दरअसल, अभिषेक मित्रा नाम के शख्स ने अपनी प्रेमिका द्वारा लगाए गए दुष्कर्म के आरोप से बचने के लिए सबसे पहले डिंडोशी की एक अदालत में याचिका लगाई थी जिसे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने खारिज कर दिया। जिसके बाद अभिषेक ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां भी उसे निराशा हाथ लगी।
प्रेमिका ने अभिषेक पर आरोप लगाया कि दोनों एक-दूसरे को वर्ष 2012 से जानते हैं क्योंकि उन्होंने मुंबई के एक फाइव स्टार होटल में साथ काम किया था और इस दौरान आरोपी ने शादी के झूठे वादे के तहत उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसका भावनात्मक शोषण किया। प्रेमिका ने कहा कि जब वह गर्भवती हुई, तो आरोपी ने उसे गर्भपात के लिए मजबूर किया, यह दावा करते हुए कि वह उससे शादी करना चाहता है। लेकिन कुछ दिनों बाद ही उसने बहाना बनाना शुरू कर दिया, जिसके बाद मैंने उसके खिलाफ 28 दिसंबर 2012 को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
इसके बाद सहायक पुलिस आयुक्त ने आरोपी को नोटिस भेजा तो वह 4 जनवरी, 2013 को अपने माता-पिता के साथ पेश हुआ और बिना शर्त उससे शादी करने के लिए तैयार हो गया। जिसके दो दिन बाद, शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत वापस ले ली, लेकिन हद तब हो गई जब 18 जनवरी को, आरोपी ने शादी से पीछे हटते हुए एक बार फिर से काउंसलर को लिखा।
आखिरकार, शिकायतकर्ता ने एक नई शिकायत दर्ज की और पुलिस ने फिर मामला दर्ज कर लिया और बाद में आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र भी दायर किया। पिछले साल निचली अदालत द्वारा आरोपमुक्त करने की उसकी याचिका खारिज करने के बाद आरोपी ने उच्च न्यायालय का रुख किया।