मुजफ्फरनगर, मोरना। तीर्थनगरी शुकतीर्थ में कार्तिक गंगास्नान मेले में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। बृहस्पतिवार को दिनभर गंगाघाट पर श्रद्धालु गंगा घाट पर स्नान करते हुए पूजा-अर्चना के साथ ही बच्चों का भी मुंडन कराया। मेले में भी महिलाओं और बच्चों ने जमकर खरीदारी की।
शुकतीर्थ में कोरोना के चलते दो साल बाद हो रहे कार्तिक गंगास्नान मेले को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मेले में शामिल होने के लिए तीर्थनगरी पहुंच रहे हैं। भारी भीड़ का आलम यह है कि महर्षि स्वामी कल्याणदेव इंटर कॉलेज से मुख्य गंगाघाट तक श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आ रही है।
गंगाघाट पर भी दूर-दूर तक श्रद्धालुओं के तंबू ही नजर आ रहे हैं। भारी भीड़ के चलते गंगास्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के वाहन शुकतीर्थ से करीब 500 मीटर पहले ही मोरना मार्ग पर पार्क कराए जा रहे हैं, जहां से श्रद्धालु मंगल गीत गाते हुए गंगाघाट पहुंच रहे हैं।
बृहस्पतिवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगाघाट पर स्नान कर पूजा-अर्चना और कलश पूजन किया। मेले में भी बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों ने खरीदारी की। मेले में लगे झूलों में भी भारी भीड़ रही। वहीं, शुक्रवार को होने वाला मुख्य गंगास्नान बृहस्पतिवार रात 12.00 बजे से ही शुरू हो जाएगा, जिसके लिए शाम से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु शुकतीर्थ पहुंचने शुरू हो गए हैं।
गंगास्नान के लिए पहुंच रहे कई प्रदेशों के श्रद्धालु
मोरना। कार्तिक पूर्णिमा के गंगास्नान के लिए कई प्रदेशों से श्रद्धालु तीर्थनगरी शुकतीर्थ पहुंच रहे हैं। गंगाघाट पर स्नान के बाद श्रद्धालु नगर के मंदिरों में भी दर्शन व पूजा-अर्चना कर रहे हैं। शुकदेव आश्रम स्थित प्राचीन वट वृक्ष और सप्तऋषि भगवान श्रीकृष्ण मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वहीं, गणेश धाम, हनुमानधाम, दंडीधाम, शिवधाम, दुर्गाधाम, पीतांबराधाम, शनिधाम में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। गंगाघाट पर तंबुओं के साथ ही श्रद्धालु तीर्थनगरी स्थित श्रीराम आश्रम, जाट धर्मशाला, पंजाबी धर्मशाला, गुरुकुल आश्रम, रविदास आश्रम, राजपूत धर्मशाला में ठहर रहे हैं।
तीर्थनगरी में कार्तिक गंगास्नान का मुख्य स्नान शुरू होने से पहले बृहस्पतिवार शाम बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगाघाट पर स्नान करने के बाद दीपदान कर पितरों का तर्पण किया। श्रद्धालुओं ने आकस्मिक मृत्यु का शिकार हुए परिजनों की आत्मशांति के लिए गंगाघाट पर स्नान कर पारंपरिक तरीके से पूजा-अर्चना भी की।