मेरठ। 35 करोड़ की प्रॉपर्टी को लेकर पिता सुक्रमपाल का हत्यारोपी बेटा रोहित उर्फ मोंटू अपनी मां कुसुम का दुश्मन बना गया है। मां की सुरक्षा में 24 घंटे पुलिसकर्मी तैनात है। मां-बेटे की दुश्मनी में नगर निगम ने भी बड़ा खेल कर दिया। बिना नोटिस और प्रकाशन कराए निगम ने पहले ढाई करोड़ कीमत के मकान का गृहकर कुसुम के नाम कर दिया। हत्यारोपी जेल से छूटा तो फिर से नियमावली को ताक पर रखकर वसीयत के आधार पर बेटे रोहित के नाम गृहकर का हस्तांतरण कर दिया। इसको लेकर बृहस्पतिवार सुबह निगम परिसर में मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के सामने दोनों पक्ष के बीच विवाद हुआ, जिसमें निगम की कार्यशैली की भी पोल खुल गई है।

नंगलाताशी, कंकरखेड़ा निवासी कुसुम अपनी बेटी रीटा के साथ बृहस्पतिवार दोपहर 1:15 बजे निगम में पहुंचीं। कुसुम के साथ एके-47 से लैस एक पुलिसकर्मी भी था। गृहकर विभाग में मां-बेटी मुख्य कर निर्धारण अधिकारी एके गौतम के सामने फूट-फूटकर रोने लगीं। एके गौतम मां-बेटी को समझा रहे थे कि निगम की नियमावली के आधार पर गृहकर भवन स्वामी के अभिलेख में दर्ज होगा। दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला चल रहा था, तभी कुसुम का इकलौता बेटा रोहित उर्फ मोंटू भी वहां पहुंच गया। मोंटू के पहुंचते ही सुरक्षाकर्मी अलर्ट हो गया और कुसुम के चेहरे पर दहशत साफ दिखाई दे रही थी। यह नजारा देखकर वहां पर मौजूद अन्य लोग भी हैरान रह गए।

लोगों ने कुसुम से पूछा कि क्या बात है, आप इतनी डरी हुई क्यों हो। कुसुम ने बताया कि 2021 में बेटे मोंटू ने ही अपने पिता की हत्या कर दी। अब बेटा करोड़ों की प्रॉपर्टी बेचने में लगा है। कोर्ट में मामला विचाराधीन है। निगम के अधिकारियों के साथ साठगांठ करके गलत तरीके से मकान का गृहकर भी अपने नाम करा लिया है। इससे पहले कि मामला तूल पकड़ता कि निगम अधिकारियों ने दोनों पक्षों से वहां से जाने को कह दिया।

24 जुलाई 2021 को प्रॉपर्टी डीलर सुक्रमपाल की हत्या हुई थी। मुकदमे में वादी पत्नी कुसुम है। हत्या के बाद कंकरखेड़ा क्षेत्र के जंगेठी गांव मार्ग पर दारासिंह फॉर्म हाउस के पास सुक्रमपाल की 50 बीघा जमीन और अन्य प्रॉपर्टी पर पत्नी कुसुम ने हक जताया। नंगलाताशी वाले मकान का गृहकर भी कुसुम के नाम हुआ।

जेल से जमानत पर ढाई साल बाद मोंटू बाहर आ गया। उसने बताया कि पिता ने पूरी प्रॉपर्टी का उसे वारिस बनाया था। इसके आधार पर उसने अपनी जमीन का सौदा एक भूमाफिया और भाजपा नेता को कर दिया। भाजपा नेता के नाम बैनामा भी होना बताया गया। बैनामा निरस्त करने के लिए कुसुम कोर्ट चली गईं। अभी मामला विचाराधीन है। वारिसान के आधार पर मोंटू ने नंगलाताशी वाले मकान के गृहकर से अपनी मां कुसुम का नाम कटवाकर अपने नाम हस्तांतरण करा दिया।

नगर निगम ने नोटिस नहीं दिया, समाचार पत्र में प्रकाशन भी नहीं कराया और अभिलेखों में सुक्रमपाल से बदलकर गृहकर उनकी पत्नी कुसुम के नाम दर्ज कर दिया। जेल से बाहर आने के बाद मोंटू ने अपनी मां के नाम गृहकर निरस्त कराया और मकान का गृहकर अपने नाम चढ़वा लिया। दूसरी बार भी अधिकारियों ने नगर निगम की नियमावली का उल्लंघन किया है। दोनों ही प्रक्रिया में समाचार पत्र में प्रकाशन कराना अनिवार्य था। जिस पर कुसुम ने आरोप लगाया कि राजस्व निरीक्षक ने साठगांठ करके उसका नाम काटकर हत्यारोपी बेटे मोंटू का नाम अभिलेख में चढ़ाया है।

मुझे खतरा है। प्रॉपर्टी को लेकर बेटे ने ही अपने पिता की हत्या कर दी। अब वह मुझे भी मार सकता है। जिस मकान का गृहकर नियम विरुद्ध परिवर्तित किया है, उसका बैनामा मेरे नाम है। – कुसुम, सुक्रमपाल की पत्नी

मौत से पहले पिता सुक्रमपाल ने सारी प्रॉपर्टी की वसीयत मेरे नाम कर दी थी। नियम के अनुसार ही मैंने प्रॉपर्टी पर हक जताया है। फर्जी दस्तावेज तैयार कर मां ने गृहकर परिवर्तित कराया था, जोकि निरस्त हो चुका है। उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा भी पंजीकृत है। – रोहित उर्फ मोंटू, सुक्रमपाल का बेटा

यह मामला सन 2022 से निगम में चल रहा है। कुसुम का नाम निरस्त कर वारिसान के आधार पर बेटे रोहित उर्फ मोंटू के नाम गृहकर में नाम परिवर्तित हुआ है। आपत्ति आने पर दोनों पक्षों को सुनने के लिए नगर निगम में बुलाया था। गहमागहमी होने पर दोनों को वापस कर दिया। जिसने गलत किया है, उसके खिलाफ विभागीय जांच होगी।
– एसके गौतम, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी

किसी भी गृहकर को अखिलेखों में परिवर्तित करने के लिए निगम को 45 दिन का समय लगता है। इसमें कोई भी आपत्ति कर सकता है। भवन स्वामी से संबंधित लोगों तक सूचना पहुंचाने के लिए निगम को दो समाचार पत्रों में प्रकाशन कराना अनिवार्य है। भवन स्वामी के घर पर नोटिस चस्पा कराना पड़ता है।