मुजफ्फरनगर। जिला अस्पताल ओपीडी में उपचार को पहुंचे सैकड़ों मरीज दुविधा में फंस गए। अस्पताल पंजीकरण पर्ची के स्थान पर आभा आईडी बनवाने की अनिवार्यता ने मरीजों को लंबी लाइन मेंं लगने के लिए मजबूर कर दिया। आईडी बनवाने की प्रक्रिया के कारण मरीजों के साथ उनके तीमारदार भी हलकान हुए। यहां तक विभिन्न कामोंं के लिए मेडिकल परीक्षण को पहुंचे लोगों को भी लाइन में लगकर आईडी के लिए देर तक इंतजार करना पड़ा।
जिला अस्पताल पहुंच रहे मरीजों काे आभा आईडी बनवाना अनिवार्य है। मंगलवार को जिला अस्पताल ओपीडी आ रहे मरीजों के लिए इस व्यवस्था को लागू कर दिया गया। सुबह आठ बजे मरीज और तीमारदार पंजीकरण पर्ची बनवाने पहुंचे तो दुविधा में फंस गए। पंजीकरण पर्ची के स्थान पर सभी के लिए आभा आईडी बनवाना अनिवार्य था।
पंजीकरण पर्ची की तुलना में आभा आईडी बनने में अधिक समय लग रहा था, जिस कारण मौके पर लंबी लाइन लग गई। वहीं लाइन में मरीजों की बढ़ती संख्या देखते हुए अस्पताल सिक्योरिटी को बुलाना पड़ा। सुबह आठ से 11 बजे तक अस्पताल पहुंचे मरीजों की आभा आईडी बनवाई गई, उसके बाद ही उन्हें ओपीडी में बैठे चिकित्सकों ने देखा।
जिला अस्पताल पंजीकरण केन्द्र पर एक क्यूआर कोड चस्पा किया गया है, जिसे स्मार्ट फोन से स्केन कर मोबाइल में एक साॅफ्टवेयर डाउनलोड कर लिया जाता है। जिस पर आधार नंबर डालने पर एक ओटीपी आता है। इसके माध्यम से टोकन नंबर पता कर पंजीकरण केंद्र पर बैठे अस्पताल कर्मी को बताकर पर्ची हासिल की जाती है, जिसमें काफी समय लगता है। मरीज अधिक होने पर लंबे इंतजार के बाद ही आभा आईडी बनवाकर पर्ची हासिल की जाती है।
बुधवार को जिला अस्पताल पंजीकरण केन्द्र पर 538 लोगों ने आभा आईडी बनवाकर ओपीडी में चिकित्सकों को दिखाया। हालांकि आभा आईडी बनवाने का क्रम सुबह आठ से 11 बजे तक ही चला। इसके उपरांत मरीजों को सादी पंजीकरण पर्ची देकर ओपीडी भेज दिया गया।
आभा आईडी का मतलब आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता से है। यह एक डिजिटल स्वास्थ्य आईडी है, जिसमें 14 अंकों का एक विशिष्ट कोड होता है। यह आईडी किसी भी मरीज को भारत के डिजिटल हेल्थकेयर इकोसिस्टम में भागीदार के रूप में पहचानती है, जिसे पूरे देश में स्वास्थ्य सेवा प्रदाता स्वीकार करते हैं।
सीएमएस डॉ. राकेश कुमार कहते हैं कि मरीजों की सुविधा के लिए उनकी आभा आइडी तैयार की जा रही है। आईडी बनने पर प्रत्येक मरीज के उपचार की जानकारी उसमें दर्ज रहेगी। चिकित्सक बदलने पर दिये गए उपचार की जानकारी आसानी से पता की जा सकेगी।