मुजफ्फरनगर। आपने सेवा और दान पुण्य करने वाले तो बहुत लोगों को देखा होगा। मगर, शहर की बेटी जैसमीन मलिक की बात ही अलग है। वह पिछले दो सालों से बेजुबान गोवंशीय पशुओं की सेवा कर रही है। दिन में ऑफिस का काम करती है। इसके बाद देर रात तक और सुबह जल्द उठकर फिर से गोवंश की सेवा में जुट जाती है। उसने ‘शिवजी के नंदियों का घर’ नाम से दो गोशालाएं भी चला रखी हैं।
शहर के प्रेमपुरी में रहने वाली जैसमीन मलिक पुत्री सतेंद्र मलिक 12 सितंबर 2020 से गो सेवा में लग गई थी। वह निराश्रित गोवंश को जिमाने और उनकी देखभाल का कार्य करती रही। इसके बाद जैसमीन ने हिम्मत दिखाई और 09 दिसंबर 2021 में किराए पर जगह लेकर ‘शिवजी के नंदियों का घर’ गोशाला शुरू की। इसमें गाय और अन्य गोवंशों की मन लगाकर सेवा की। धीरे-धीरे गोवंशों की संख्या बढ़ती गई और जैसमीन को दूसरी जगह भी किराए पर लेनी पड़ी। अब जैसमीन करीब 30 गोवंश की सेवा कर रही है।
उसने बताया कि प्रशासन और जन प्रतिनिधियों की तरफ से उसे किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली। मगर, उसके कुछ परिचित और पड़ोसियों ने इस सेवा में मदद की है। कहना कि वह खुद भूखी रह सकती है, लेकिन किसी भी गोवंश को भूखा नहीं रख सकती है।
जैसमीन मलिक ने बताया कि लंपी बीमारी आने से उसकी समस्याएं बढ़ गई थी। वह आर्थिक और मानसिक रुप से काफी परेशान रही। उसने बताया कि इसमें उसके 3-4 गाय और गोवंश की मौत भी हो गई। उसने खुद के खर्चे पर उनका अंतिम संस्कार किया। एक गोवंश के अंतिम संस्कार में करीब 2200 रुपये का खर्च आता है।
जैसमीन मलिक शहर में ही एक निजी कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी करती है। खुद के कमाए पैसों से ही वह दोनों गोशाला का किराया (एक का चार हजार और दूसरी का 1800 रुपये) और उनके चारे व दवाई का खर्च उठाती है। कुल मिलाकर महीने का 45 हजार रुपये खर्च आता है। उसने बताया कि वह सुबह साढ़े 10 से रात आठ बजे तक नौकरी करती है। ऑफिस से लौटने के बाद रात एक बजे तक उनकी सेवा करती है। सुबह जल्दी उठकर उन्हें चारा खिलाकर ऑफिस जाती है।
जैसमीन की दोनों गोशाला में कुल चार गाय, 23 बछड़े और 2 बछिया है। चारों गाय में से कोई भी दुधारू नहीं है। कई लोग उसे गोशाला में और भी गाय रखने के लिए कहते है, लेकिन जगह थोड़ी होने की वजह से वह और गोवंश रखने में असमर्थ है। बताया कि अगर सरकार की तरफ से उसे जगह और चारे का खर्च उपलब्ध करा दें तो वह खुद ही इनकी सेवा कर सकती है।
जैसमीन की यह सेवा काफी मुश्किल भरी है। उसने बताया कि उसे इस सेवा को करने के लिए पड़ोसियों का विरोध और ताने भी सुनने को मिलते है। बावजूद इसके उसने कभी हार नहीं मानी है।
जैसमीन ने अपनी गो सेवा को लोगों तक पहुंचाने के लिए अपने नाम से ही यूट्यूब चैनल भी बनाया है। इसमें वह अपनी सेवा की वीडियो अपलोड करती है, ताकि लोगों में जागरूकता फैले।