मुजफ्फरनगर। एनडीए गठबंधन में मीरापुर सीट रालोद के हिस्से में आई है। साल 2022 में रालोद के टिकट पर बिजनौर के वर्तमान सांसद चंदन चौहान ने जीत दर्ज की थी। गठबंधन बदल जाने से रालोद की ताकत जरूरी बढ़ी है, लेकिन मीरापुर में चुनौती कम नहीं है। बसपा और आसपा के मैदान में उतरने से यहां एनडीए की राह इतनी आसान नहीं होगी।
पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि मीरापुर सीट गठबंधन में रालोद के हिस्से में आएगी। साल 2012 में बसपा के दलित-मुस्लिम समीकरण के चलते मौलाना जमील विधानसभा पहुंचे थे। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद साल 2017 में अवतार भड़ाना जीते, लेकिन सपा के लियाकत अली ने 68842 वोट हासिल कर सबको चौंका दिया था। बसपा से नवाजिश आलम को 39689 वोट मिले थे। रालोद ने सपा के साथ गठबंधन में साल 2022 में यहां से चंदन चौहान को चुनाव लड़ाया और सीट पर जीत दर्ज की। पहली बार उपचुनाव लड़ने जा रही बसपा और आसपा इस बार रालोद-भाजपा गठबंधन का कड़ा इम्तिहान लेगी।
परिसीमन के बाद 2012 में मीरापुर विधानसभा सीट बनाई गई थी। इससे पहले मोरना के नाम से सीट थी। जानसठ सुरक्षित सीट का कुछ हिस्सा मीरापुर में शामिल किया गया, जबकि अधिकतर हिस्सा खतौली विधानसभा में शामिल हुआ।
मीरापुर-मोरना के बारे में यह भी जानिए
– अब तक पांच बार मुस्लिम विधायक जीते
– स्वर्गीय नारायण सिंह यहीं से जीतकर डिप्टी सीएम बने
– सिर्फ एक बार महिला विधायक मिथलेश पाल बनीं
–यहां से विधायक रहे कादिर राना बाद में सांसद बने