
मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा कांड में सामूहिक दुष्कर्म, छेड़छाड़ और लूट सहित अन्य गंभीर धाराओं के मुकदमे में अदालत ने मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को गवाह पीड़िता की विशेष सुरक्षा के आदेश दिए हैं। प्रकरण की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने की। सीबीआई के एसपी को आदेश दिए कि गवाह को अदालत लाने से पहले उत्तराखंड पुलिस को जरूर अवगत कराएं।
शुक्रवार को अदालत में सरकार बनाम राधा मोहन द्विवेदी और सरकार बनाम मिलाप सिंह की पत्रावली पर सुनवाई हुई। उत्तराखंड संघर्ष समिति की ओर से एडवोकेट रमन कुमार शाह और अनुराग वर्मा ने अदालत में प्रार्थना पत्र दिया कि गवाह पीड़िता की सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए। अदालत ने मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को सुरक्षा के इंतजाम करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा कि यह भी सुनिश्चित कर लिया जाए कि गवाह के साथ महिला पुलिसकर्मी भी तैनात की जााएं। गवाही से पहले सीबीआई के एसपी उत्तराखंड पुलिस को सूचना देंगे।
शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह और जोगेंद्र गोयल ने बताया कि प्रकरण की अगली सुनवाई 24 मई को होगी। प्रकरण में आठ आरोपियों ने हाजिरी माफी प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया।
अदालत में सीबीआई के लोक अभियोजक धारा सिंह मीणा ने रामपुर के गवाह प्रदीप को पेश किया। इस दौरान पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही।
एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे। गंभीर धाराओं के सेशन ट्रायल मुकदमों की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने जिले के अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह को अधिकृत किया है।
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