मुजफ्फरनगर। पुलिस ने एक व्यक्ति की मौत के छह साल बाद उसके विरुद्ध बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल कर दी। मृतक के पुत्र ने ऊर्जा निगम जेई और विवेचक सहित 11 लोगों पर एफआइआर की गुहार लगाई तो क्षेत्राधिकार न होने की बात कहते हुए प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया। पुनरीक्षण पर सुनवाई कर फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अवर न्यायालय के उक्त आदेश को रद कर फिर से सुनवाई का आदेश जारी किया है।

मौत के छह साल बाद शाहपुर क्षेत्र के गांव कसेरवा निवासी इलियास पुत्र कुतुबद्दीन के विरुद्ध ऊर्जा निगम ने बिजली चोरी का मुकदमा दर्ज करा दिया। पुलिस ने मामले की विवेचना कर कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी। जिला पंचायत सदस्य और मृतक के अधिवक्ता पुत्र यूनुस चौधरी ने इस मामले में एसएसपी को शिकायती पत्र दिया था।

इसके साथ ही बिजली कर्मियों पर 30 हजार रुपए रिश्वत में मांगने और अन्य आरोप लगाते हुए कोर्ट में 156/3 सीआरपीसी के तहत जेई सुधीर कुमार और मामले के विवेचक दारोगा अमीर यादव सहित 11 के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने का आदेश देने की गुहार भी लगाई थी। अधिवक्ता यूनुस चौधरी ने बताया कि छह अक्टूबर 2023 को कोर्ट ने सुनवाई कर मामले को भ्रष्टाचार से जुड़ा तथा उनके क्षेत्राधिकार से बाहर बताते हुए खारिज कर दिया था।

इसके बाद उन्होंने निचली अदालत के निर्णय के विरुद्ध पुनरीक्षण दाखिल किया था। जिस पर एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के पीठासीन अधिकारी निशांत सिंगला ने सुनवाई की। बताया, कोर्ट ने निचली अदालत के निर्णय को खारिज कर फिर से सुनवाई का आदेश दिया।

जिला पंचायत सदस्य के पिता की मौत के छह वर्ष बाद बिजली चोरी के मुकदमे की विवेचना कर चार्जशीट दाखिल करने वाले दारोगा अमीर सिंह ने कोर्ट में अपनी गलती स्वीकार की। दिये प्रार्थना पत्र में बताया, पोस्टिंग के बाद उसे बिजली चोरी के मुकदमे की विवेचना सौंपी गई थी।

नहीं मालूम था कि इलियास की मृत्यु छह पहले हो चुकी थी। आरोप लगाया, इलियास के पुत्र यूनुस चौधरी ने मामले में एफआर लगाने की बात कही थी, यह नहीं बताया कि आरोपित की पूर्व में मृत्यु हो चुकी है। दारोगा ने प्रार्थना पत्र देकर कोर्ट से कहा कि यदि उससे कोई भूल हो गई हो तो उसे माफी दी जाए।