नई दिल्ली. मानहानि मामले में दो साल की सजा होने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अब अगर राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिली तो जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक राहुल गांधी पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाएगी। इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। विभिन्न नेता इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने पर कहा ‘राहुल को सच बोलने की सजा मिली है। राहुल देश के सामने सच्चाई रख रहे थे। सरकार को जिन्हें नहीं सुनना है, उन्हें वह सदन के बाहर कर रही है। लेकिन हम सदन के अंदर भी बोलेंगे, सदन के बाहर भी बोलेंगे।’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट में लिखा कि ‘जैसी भाजपा, संघ और मोदी जी से उम्मीद थी, मोदी अदाणी संबंधों पर वो राहुल गांधी को संसद में बोलने नहीं देंगे, वही हुआ। राहुल जी के चार साल पुराने बयान पर उनकी संसद की सदस्यता समाप्त कर दी। लोकतंत्र के मंदिर में नहीं बोलने दोगे तो जनता की अदालत में जाएंगे।’
वहीं भाजपा नेता भूपेंद्र यादव ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने का समर्थन किया और कहा कि राहुल गांधी राजनीतिक बयानबाजी नहीं कर रहे थे बल्कि पिछड़े वर्ग का अपमान कर रहे थे।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ‘हमारी ये लड़ाई कानूनी और राजनीतिक तौर पर जारी रहेगी। हम इससे डरेंगें और चुप नहीं होंगे। जयराम रमेश ने लिखा कि अदाणी मामले पर जेपीसी का गठन करने के बजाय राहुल गांधी के पक्ष को निरस्त कर दिया!’
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि मैं इस कार्रवाई की तेजी से हैरान हूं। कोर्ट के फैसले के 24 घंटे के भीतर ही यह कार्रवाई की गई है, जब कि इस मामले में अपील लंबित है। उन्होंने कहा कि यह ओछी राजनीति है और लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।