मेरठ। रैपिड रेल (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) के संचालन व संबंधित व्यवस्था पर भारी भरकम खर्च होगा। ऋण अदायगी भी करनी होगी। इसलिए किराए से ही पूरा खर्च नहीं निकल पाएगा, इसलिए इस कारिडोर पर कई व्यावसायिक गतिविधियां विकसित की जाएंगी। रैपिड रेल कारिडोर का निर्माण और संचालन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के निर्देशन में हो रहा है।
यह है पूरी योजना
सरायकालेखां, गाजियाबाद, भूड़बराल, शताब्दीनगर, भैंसाली, मोदीपुरम जैसे प्रमुख स्टेशनों पर अधिक मांग वाली कंपनियों के आउटलेट खुलेंगे। इसका शुल्क एनसीआरटीसी को जाएगा। रैपिड रेल के स्टेशन, प्लेटफार्म, डिब्बे पर विज्ञापन अलग-अलग तरह से किया जा सकेगा। यही नहीं इसके टोकन व स्मार्ट कार्ड पर भी विज्ञापन रहेगा। इसकी पूरी कमाई एनसीआरटीसी को जाएगी। स्टेशनों से फीडर सेवा जैसे बस, टेंपो, टैक्सी, बाइक व साइकिल की सुविधा दी जाएगी। इसका संचालन प्राइवेट कंपनी करेगी लेकिन कमाई का प्रमुख हिस्सा एनसीआरटीसी को जाएगा।
कुछ स्टेशनों पर वेयरहाउस की सुविधा
साथ ही प्रत्येक स्टेशन पर पार्किंग शुल्क भी उसे मिलेगा। मोदीपुरम, जंगपुरा, दुहाई समेत कुछ स्टेशनों पर वेयरहाउस की सुविधा रहेगी। इस रेल से ई-कामर्स कंपनियों के पार्सल पहुंचाने की सुविधा रहेगी, इसलिए इसमें भी कमाई होगी। कारिडोर के दोनों तरफ ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) के तहत 500 मीटर तक का क्षेत्र विशेष आरक्षित होगा। यहां पर किसी भी निर्माण का विकास शुल्क अलग रहेगा। इन क्षेत्रों में प्राधिकरण की ओर से जो भी मानचित्र स्वीकृत किया जाएगा उसमें से कुछ शुल्क का हिस्सा एनसीआरटीसी को जाएगा।
400 हेक्टेयर जमीन पर ये गतिविधियां
कारिडोर पर विशेष विकास क्षेत्र का प्रविधान किया गया है। इसमें 400 हेक्टेयर जमीन पर मोहिउद्दीनपुर और 400 हेक्टेयर जमीन दौराला में विशेष विकास क्षेत्र विकसित किया जाएगा। यहां पर फ्लैट, अस्पताल, स्कूल, इंस्टीट्यूट, माल आदि रहेंगे। इसका लाभ खासकर उन लोगों को मिलेगा जो रैपिड रेल से दिल्ली आवागमन करते हैं। इसका उद्देश्य है कि सुविधायुक्त क्षेत्र में लोग रहें और रैपिड रेल का अधिक से अधिक उपयोग करें। इस विकास क्षेत्र के शुल्क का कुछ हिस्सा एनसीआरटीसी के कोष में जाएगा।