सूचना का अधिकार के जरिए प्राप्त जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा का नाम उन पूर्व सांसदों की सूची में है, जो पूर्व सांसद के रूप में पेंशन ले रहे हैं। बता दें कि लेफ्टिनेंट गवर्नर सिन्हा वेतनभोगी हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय में व्यय विभाग के केंद्रीय पेंशन अकाउंटिंग कार्यालय द्वारा प्रदान की गई सूची में इस तरह के राज्य स्तर के कई मंत्रियों और सांसदों के नाम भी शामिल हैं।

क्या है नियम: संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 की धारा 8A (2) और उसके तहत बने नियम (अप्रैल 2020 तक के संशोधनों सहित) में कहा गया है कि एक पूर्व सांसद उस अवधि के लिए पेंशन का हकदार नहीं होगा, जिसके लिए वह चुने गए हैं। जिसमें राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति, या किसी भी राज्य का राज्यपाल या किसी केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासक या किसी राज्य विधायिका के लिए चुने गए लोग शामिल है।

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मनोज सिन्हा तीन बार सांसद रह चुके हैं: ऐसे में मनोज सिन्हा का जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल के पद पर बने रहने के साथ पूर्व सांसद के रूप में पेंशन पाने वालों की सूची में हैं। बता दें कि सिन्हा ने अगस्त 2020 में जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में शपथ ली थी। वहीं इसके पहले मनोज सिन्हा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से तीन बार भाजपा के टिकट पर 1996, 1999 और 2014 में लोकसभा सांसद चुने गए थे। हालांकि 2019 में भी उन्होंने गाजीपुर से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। जिसके बाद उन्हें उप राज्यपाल बनाया गया।

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कुल तीन लाख से अधिक मिलता है वेतन: गौरतलब है कि बिहार के कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने इस संबंध में एक आरटीआई दाखिल की थी। बता दें कि एक लेफ्टिनेंट गवर्नर को 2.25 लाख रुपये के अलावा सचिव स्तर के केंद्र सरकार के अधिकारियों के रूप में महंगाई भत्ता व अन्य खर्च को मिलाकर उन्हें 3 लाख रुपये से अधिक वेतन मिलता है।