जलीलपुर (बिजनौर)। गंगा खादर क्षेत्र में उजड़ती फसल को देख दो किसानों की हालत बिगड़ गई। हालत बिगड़ने वाले दो किसानों में एक महिला भी शामिल है। पिछले कई दिनों से वन विभाग की भूमि से अवैध फसल को जोतकर कब्जा मुक्त करने का अभियान चलाया जा रहा है।
जलीलपुर के गंगा खादर क्षेत्र में पिछले दो सप्ताह से वन विभाग की भूमि से अवैध कब्जे हटाए जा रहे हैं। शुक्रवार को वन विभाग, राजस्व विभाग व पुलिस की टीम ने गांव दत्तियाना के जंगल के निकट वन विभाग की भूमि में खड़ी तरबूज, लोकी, खीरा आदि की फसल पर जैसे ही ट्रैक्टर चलाने शुरू किए, किसानों ने कार्रवाई का विरोध शुरू कर दिया। फसल जोत रहे ट्रैक्टरों के सामने बैठ गए।
उजड़ती फसल को देख जिला सहारनपुर के गांव बैगी निवासी किसान शहजाद व शहनाज पत्नी मुस्तकीम की हालत बिगड़ गई। परिजन दोनों को बेहोशी की हालत में लेकर इलाज के लिए ले गए। दोनों को इलाज के लिए ले जाता देखकर कुछ किसानों ने उनकी मौत मान लिया। क्षेत्र में दो किसानों की मौत की अफवाह से हड़कंप मच गया। दोनों किसानों का बिजनौर के किसी अस्पताल में इलाज होना बताया जा रहा है।
वन क्षेत्राधिकारी विकास कुमार वरुण ने बताया कि करीब दो सप्ताह में वन की 100 हेक्टेयर भूमि को कब्जा मुक्त किया गया है। किसी किसान की मौत या हालत बिगड़ने की कोई जानकारी नहीं है।
जलीलपुर के गंगा खादर क्षेत्र में हजारों बीघा जमीन पर जिला मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, बागपत आदि के सैकड़ों किसान परिवार सहित रहकर लोकी, खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा आदि की फसल उगा रहे हैं। किसान इंतजार, फुरकान, रहीसू आदि का कहना हैं कि वन विभाग ने ही उनको यूकेलिप्टस, शीशम आदि की पौधों को पालने के लिए दो साल को रखा था। पौधों की रखवाली के बदले फसल उगाने को कहा था। किसानों ने बताया उन्होंने पौधों की अच्छे से देखभाल कर उनको पाला है। पहली बार फसल तैयार की है, जिसे उजाड़ा जा रहा है। इंतजार ने बताया अधिकारियों से दो महीने का समय मांगा था, ताकि अपनी तैयार फसल को बेच सके। अब तक तो कुछ आमदनी नहीं हुई है, सारा समय वन विभाग की पौधों को ही पालने लगाया था।