
नई दिल्ली. भारतीय टीम के पूर्व विस्फोटक सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने अपने साथी पूर्व क्रिकेटर इशांत शर्मा के साथ हुए एक जबर्दस्त वाकये को याद किया है. उन्होंने साल 2008 में घटी इस घटना के बारे में बात करते हुए बताया है कि भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट सीरीज चल रहा था. जारी सीरीज में वह 201 रन बनाकर नाबाद थे. जबकि टीम के दो अन्य सदस्य ही इस मुकाबले में दहाई का आंकड़ा पार कर पाए थे. विपक्षी टीम के लिए अजंता मेंडिस और मुथैया मुरलीधरन कहर बरपाती गेंदबाजी कर रहे थे. इस बीच ईशांत शर्मा ने उनसे बल्लेबाजी करने के लिए मांगा. उनके अनुसार अगर वह उनसे बल्लेबाजी के लिए नहीं मांगते तो वह उस मुकाबले में और रन बना सकते थे.
सहवाग ने सेल्फिश होने के सवाल पर अपना विचार देते हुए कहा, ‘नकारात्मक माहौल का मतलब होता है कि कुछ खिलाड़ी रन बनाने के लिए व्याकुल होते हैं, पर वह दूसरों को असफल होते हुए भी देखना चाहते हैं. मेरी हमेशा से यही कामना रही कि मैं और मेरा साथी बल्लेबाज रन बनाए. उसके बाद जो बेहतर होगा उसे चुना जाएगा. मैं सेल्फिश क्यों होऊंगा?’
सहवाग ने कहा, मैं एक बार की बात बताता हूं. मैं 199 के स्कोर पर बल्लेबाजी कर रहा था. मेरे साथ उस दौरान इशांत शर्मा क्रीज पर मौजूद थे. मुझे महसूस हो रहा था कि शर्मा मेंडिस और मुरलीधरन के सामने नहीं टिक पाएंगे. ऐसे में मैं सेल्फिश बन सकता था. 200 के बाद मैं उन्हें स्ट्राइक देता, लेकिन मैंने उस ओवर की पांच गेंदे खेलने के बाद आखिरी गेंद पर रन लिया. अगले ओवर से पहले शर्मा मेरे पास आए और कहा भैया मैं खेलूंगा. आप फालतू में डर रहे हैं. इसके पश्चात् मैंने एक रन लेते हुए दोहरा शतक पूरा किया और शर्मा को स्ट्राइक दी. बल्लेबाजी करने पहुंचे शर्मा दो गेंद भी नहीं खेल पाए और आउट हो गए. मैंने पूछा खेल लिया तुमने? आपकी पूरी हो गई मनोकामना?
सहवाग ने बताया कि उनके दिमाग में चल रहा था कि कैसे वह कुछ और रन स्कोरबोर्ड में जोड़ें. लेकिन उसने बोला वह उनको संभाल लेगा. ईमानदारी से कहूं तो मेरे लिए दोहरा शतक पूरा करना ज्यादा जरुरी नहीं था. मैं कोशिश कर रहा था कि ज्यादा से ज्यादा बल्लेबाजी करूं और स्कोरबोर्ड पर रन खड़ा करूं. ऐसे में वह मेरे लिए मेरा स्वार्थ नहीं था.
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