शामली। ईंट भट्ठों पर बिक्री बंदी से तीन दिन में 20 करोड़ से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हुआ है। जीएसटी की दरों में वृद्धि और कोयले के दामों में बेतहाशा वृद्धि समेत अन्य मांगों को विरोध में ईंट भट्ठा संचालकों ने फिलहाल 12 से 17 सितंबर तक बिक्री बंदी का एलान किया है, मांग पूरी न होने पर यह बंदी पूरे वर्ष जारी रह सकती है।
जीएसटी काउंसिल ने ईंट भट्ठों पर जीएसटी की दर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दी है। इसके अलावा कंपोजिशन रेट बढ़ाकर 1 प्रतिशत से 6 प्रतिशत कर दिए गए हैं। कोयले के दाम 10,000 रुपये प्रति टन से बढ़कर 27,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गए हैं। इसके अलावा भी ईंट भट्ठा संचालकों की कुछ समस्याएं हैं। जीएसटी की दर कम करने और कोयले पर छूट प्रदान करने की मांग वह लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं। निस्तारण न होने पर देशभर में 12 सितंबर से 17 सितंबर तक ईंट बिक्री बंद कर दी है। जिले में 150 ईंट भट्ठे हैं, जिन पर करीब 30,000 मजदूर काम करते हैं। बिक्री बंदी बढ़ने से इन मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो सकता है।
ईंट भट्ठा संचालकों की मांगों को लेकर ईंट भट्ठा मजदूर यूनियन संघ भी उनके साथ है। मंगलवार को भट्ठा मजदूर संघ ने कलक्ट्रेट पहुंचकर प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा था। जिसमें ईंट भट्ठा संचालकों की समस्याओं का निस्तारण करने और उन्हें विशेष पैकेज देने की मांग की थी। उनका कहना था कि ईंट भट्ठे बंद होने से देशभर के लाखों मजदूरों के सामने रोजीरोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।
जिला ईंट निर्माता समिति के जिलाध्यक्ष भूपेंद्र मलिक का कहना है कि सरकार की नीतियों के चलते ईंट भट्ठे बंदी के कगार पर हैं। सरकार यदि समस्याओं का समाधान नहीं करती है तो भट्ठे शुरू नहीं हो पाएंगे। इससे भट्ठा संचालकों का नुकसान तो होगा ही साथ में मजदूरों के जीवन यापन पर भी संकट आ जाएगा। ईंट बिक्री बंदी 17 सितंबर से आगे भी बढ़ाई जा सकती है। जिले में ईंट बिक्री पूरी तरह बंद है। भवन निर्माण पर भी इसका असर पड़ेगा।