शामली। जिले के झिंझाना में टेक्सटाइल पार्क विकसित होने से शामली को देशभर में पहचान मिलेगी। यही नहीं शामली और अन्य स्थानों के उद्यमी यहां पर रोजगार शुरू कर सकेंगे। साथ ही अन्य लोगों को भी रोजगार मिलेगा। पार्क में दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक हजार करोड़ रुपये की लागत से टेक्सटाइल इकाइयां विकसित होंगी।
शामली जिले के रिमधुरा, माचिस, बर्तन, धूपबत्ती, अगरबत्ती, पेपर, गुड़ खांडसारी की पहचान विदेशों तक में है। प्राइवेट और सरकारी मदद से औद्योगिक पार्क कंडेला में विकसित किया जा रहा है। दूसरी ओर, जिले के करनाल रोड पर झिंझाना कस्बे के पास प्राइवेट टेक्सटाइल पार्क विकसित करने की तैयारी हो चुकी है। पार्क विकसित करने के लिए दो दिन पूर्व लखनऊ में हथकरघा के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में बैठक में प्राइवेट पार्टनरशिप पर आधारित पीपी माडल पर पार्क विकसित करने को कहा गया है।
मेरठ हथकरघा के सहायक निदेशक मनोज कुमार गर्ग ने बताया कि करनाल रोड झिंझाना में 25.75 एकड़ भूमि में पार्क बनेगा। प्राइवेट उद्यमी 25 टेक्सटाइल औद्योगिक इकाई विकसित करेंगे। कपड़ा, कंबल, बुनाई, फिनिशिंग, रंगाई, प्रिटिंग, हौजरी इकाई स्थापित की जाएगी। टेक्सटाइल के लिए पानीपत, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश उद्यमी अपनी इकाई विकसित कर सकेंगे। शामली जिले के प्राइवेट टेक्सटाइल विकसित करने की जिम्मेदारी नोएडा के उद्यमी रवि बी अरोरा को दी गई है।
आईआईए के चेयरमैन आशीष जैन, सार्थक बंसल, आयुष बंसल का कहना कि कपड़ा उद्योग इकाई में कम से कम एक इकाई में 100 कर्मचारी की आवश्यकता है। 2500 इकाई में 25 हजार मजदूरों को काम करने की सुविधा मिलेगी। कपड़ा, बटन जींस अन्य इकाई के रोजगार के साधन मिलेंगे।
पार्क के तहत एक ही जगह पर कई सारी फैक्टरी यूनिट को स्थापित किया जाता है और कपड़ा उद्योग से जुड़ी सभी बुनियादी चीजों की सुविधाएं जैसे उत्पादन, मार्केट लिंकेज उपलब्ध होती हैं। सरकार इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों को देखते हुए विकसित करती है।
टेक्सटाइल पार्क का उद्देश्य कपड़ा क्षेत्र में बड़े निवेश लाना होता है। इन पार्कों में कपड़ा इंडस्ट्री के लिए एकीकृत सुविधाएं होती है। इसके साथ ही परिवहन में होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने की व्यवस्था रहती है। इनमें आधुनिक बुनियादी संरचनाएं, साझा सुविधाओं के अलावा रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब भी होते हैं।
धागे से कपड़ा तैयार करने, कपड़ों की रंगाई, सिलाई वगैरह से लेकर इनकी पैकिंग और ट्रांसपोर्टिंग तक के लिए बड़े पैमाने पर लोगों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में टेक्सटाइल पार्क रोजगार की अपार संभावनाएं पैदा करता है। इसमें मजदूरों की भी जरूरत होती है, डिजाइनरों की भी जरूरत होती है, अकाउंटिंग और मैनेजमेंट से जुड़े लोगों की भी जरूरत होती है और रिसर्चरों की भी जरूरत होती है यानी कुल मिलाकर कहा जाए तो अनपढ़ से लेकर उच्च शिक्षित लोगों तक को रोजगार मिलने की संभावना है।
जिले के कपड़ा व्यापारी पवन बंसल और अन्य पानीपत और दिल्ली में कपड़ों का कारोबार करते हैं। इनके अलावा भी जिले के व्यापारियों की पानीपत में टेक्सटाइल बिजनेस में पार्टनरशिप है।