सोनीपत। स्वास्थ्य विभाग के पास 11 दिन से एंटी रेबीज वैक्सीन खत्म है। अस्पताल में एंटी रेबीज का टीका नहीं होने से कुत्तों व बंदरों के उपद्रव से परेेेशान लोगों की मुसीबत बढ़ जाती है। मरीजों को सामान्य अस्पताल में टीका नहीं होने की स्थिति में बाहर निजी अस्पताल में ज्यादा पैसे देकर टीका लगवाना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से ओपीडी के बाहर एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं होने का पर्चा चस्पा किया गया है।
कुत्ते व बंदर शहर की अधिकतर गलियों में झुंड बनाकर घूमते रहते हैं और अक्सर लोगों पर झपट पड़ते हैं। स्थिति यह है कि कुत्ते व बंदर के काटने से घायल 25 से 30 लोग रोज नागरिक अस्पताल में आते हैं, लेकिन उन्हें अस्पताल से भी बैरंग लौटना पड़ता है। कुत्ते व बंदर के काटे जाने पर एंटी रेबीज का टीका लगना जरूरी है। इसके बावजूद अस्पताल में 11 दिन से रेबीज का टीका नहीं है। इससे मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज कराने पर मजबूर होना पड़ रहा है। चिकित्सकों की माने तो रेबीज खतरनाक बीमारी है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है।
जिला नागरिक अस्पताल में हर महीने 500 से 600 मरीजों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती थी। अस्पताल में एक डोज 100 रुपये में लगाई जाती है। वहीं, बीपीएल कार्ड धारक को यह वैक्सीन मुफ्त में लगती है। उधर, निजी अस्पतालों में एक डोज के 300 से 350 रुपये तक लिए जाते हैं। नागरिक अस्पताल में 11 दिन से एंटी रेबीज वैक्सीन नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। मरीजों द्वारा स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित करने के बावजूद समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। लोग लगातार अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन आने के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं, लेकिन वैक्सीन कब आएगी। इसके बारे में सही जानकारी नहीं मिल रही है।
स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि रेबीज एक विषाणु जनित रोग है। इसके कारण इंसेफेलाइटिस यानी मस्तिष्क में सूजन हो सकती है। इसके बाद बुखार के साथ काटने के स्थान पर झुनझुनी जैसे प्रारंभिक लक्षण दिखते हैं। रेबीज से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है, क्योंकि एक बार रेबीज होने के बाद मनुष्य की जिंदगी नहीं बच सकती। कुत्ता, बंदर, बिल्ली, लोमड़ी, चूहा, चमगादड़ के काटने पर रेबीज होता है, इसलिए कोई भी जानवर काटे तो तत्काल एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाना जरूरी है।
मुझे पिछले दिनों बंदर ने काट लिया था। एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने के लिए परिजनों के साथ नागरिक अस्पताल में पहुंचा तो वहां पर स्वास्थ्य कर्मियों ने मुझे एंटी रेबीज वैक्सीन खत्म होने की बात कही। वैक्सीन खत्म होने के कारण परेशानी बढ़ गई। अस्पताल में जहां 100 रुपये में टीका लगता है, निजी अस्पताल में एक डोज के 300 से 350 रुपये तक लिए जाते हैं। सरकार की ओर से जल्द एंटी रेबीज वैक्सीन उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
सरकार की ओर से जल्द एंटी रेबीज वैक्सीन उपलब्ध करानी चाहिए। अस्पताल में वैक्सीन नहीं होने के कारण मरीजों को वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। साथ ही नगर निगम की ओर से बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान तेज करना चाहिए। अधिकारियों की अनदेखी का खामियाजा कॉलोनीवासियों को भुगतना पड़ रहा है।
अस्पताल में 9 मार्च से एंटी रेबीज वैक्सीन की किल्लत है। स्टॉक खत्म होने से पहले ही वैक्सीन की मांग भेजी जा चुकी थी। रोहतक स्थित वेयर हाउस में भी वैक्सीन नहीं है। उपलब्ध होने के बाद मरीजों को एंटी रेबीज वैक्सीन लगानी शुरू कर दी जाएगी।
– डॉ. जयकिशोर, सिविल सर्जन, सोनीपत