
उपाध्याय/बलिया. भृगु नगरी बलिदानियों की धरती के साथ बागी बलिया का तगमा तो हासिल कर लिया. लेकिन विकास के मायने में कोसों दूर ही रह गया. जी हां हम बात कर रहे हैं जिले के रसड़ा क्षेत्र की. जहां हजारों लोगों के जीविका का साधन बना चीनी मिल बंद होने से उन तमाम लोगों के जीविका पर भी संकट आ पड़ा है. आज भी क्षेत्र के तमाम लोगों को चीनी मिल के चालू होने का इंतजार है इस क्षेत्र का यह चीनी मिल रोजगार का बड़ा साधन था.
सुरक्षा प्रहरी कमलाकर तिवारी ने बताया कि यह वहीं स्थान है जिसको देखने के लिए लोग दूर दूर से आतेआते थे.आज स्थिति यह बन गई है कि यहां जंगली सूअर, सांप, बिच्छू के साथ तमाम खतरनाक जीव जंतु घूमते हैं. इसका उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. यह लोगों के लिए जितना हर्ष का विषय बना उतना ही मायूसी का कारण भी बन गया.
जिले को उद्योगहीनता से बाहर निकालने के लिए किसी भी स्तर पर ठोस प्रयास नहीं हुआ. कारण यहां के श्रमिक पलायन को मजबूर हैं. यह वर्ष 1974 में स्थापित हुआ. इससे कामगारों की आस बंधी जरूर थी, लेकिन उसे भी लगभग 09 वर्ष पहले बंद कर दिया गया. उस समय मिल में लगभग हजारों श्रमिक व कर्मचारी कार्यरत थे. परिणामस्वरूप इसमें काम कर जीविका चलाने वाले श्रमिक रोजगार के अभाव में बेकार हो गए.
हालात यह है कि मिल बंद होने के बाद इसकी अवस्था दिन पर दिन दयनीय होती जा रही है. मशीन टूट टूट कर गिर रही है और जंक लग रहा है. इसके चारों तरफ जंगल हो गया है. जिसमें खतरनाक जंगली जीव जंतु घूमते रहते हैं. यह जिस समय बना था उस समय किसी पर्यटन स्थल से कम नहीं था. 50 एकड़ में इस चीनी मिल का स्थापना हुआ था. बेरोजगार का जो दाग जिले के ऊपर लगा था वह लग रहा था कि अब समाप्त हो जाएगा. लेकिन फिर माहौल जस का तस हो गया. गौरतलब है कि आज भी क्षेत्र के गन्ना कृषक लगभग लाखों क्विंटल गन्ना की सप्लाई अन्य जनपदों को देते हैं.
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