
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों में पेराई सत्र शुरू हो चुका है। तीन साल बीत गए पर गन्ने की कीमत में एक रुपए की बढ़ोत्तरी नहींं हुई है। वर्ष 2017-18 में योगी सरकार ने गन्ने के मूल्य में सिर्फ 10 रुपए प्रति कुंतल की बढ़ोत्तरी की थी। चालू पेराई सत्र में पर्ची आने के बाद किसान अपना गन्ना चीनी मिलों पर पहुंचा रहा है। पर इस बार पर्ची पर गन्ने के दाम नहीं लिखे हैं। किसान उम्मीद कर रहा है कि शायद गन्ने के रेट में योगी सरकार बढ़ोत्तरी कर दे। इस वक्त सामान्य प्रजाति के गन्ने का मूल्य 315 रुपए और अग्रिम प्रजाति का मूल्य 325 रुपए प्रति कुंतल है। इधर दो दिन पहले मोदी सरकार ने गन्ना किसानों को चीनी मिलों की ओर से बकाये के भुगतान के लिए 3500 करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है।
यूपी के 43 जिलों में गन्ने की खेती :- उत्तर प्रदेश का किसान देश में सबसे अधिक गन्ने का उत्पादन करता है। देश के कुल गन्ना क्षेत्र का 44 प्रतिशत हिस्सा उत्तर प्रदेश में है। इसी तरह भारत के कुल गन्ना उत्पादन का 39 प्रतिशत उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है। यूपी के 43 जिलों में गन्ने की खेती होती है। देश में कुल 520 चीनी मिलें हैं। जिसमें से यूपी में 119 चीनी मिलें हैं। उत्तर प्रदेश का चीनी उद्योग करीब 40,000 करोड़ रुपये का है। यहां का चीनी उद्योग करीब 6.50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार देता है।
डेढ़ माह गुजर गए नया रेट नहीं आया :- वीएम सिंह
ऑल इंडिया किसान संघर्ष कमेटी ने राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक किसान नेता सरदार वीएम सिंह बताते है कि, गन्ना पेराई सत्र शुरू हो चुका है। करीब डेढ़ माह गुजर चुके हैं पर योगी सरकार ने अभी तक गन्ने का मूल्य घोषित नहीं किया है। गन्ना किसानों को बिना किसी मूल्य की पर्चियां काटी जा रहीं हैं। सरकार अभी तक कोई रेट तय नहीं कर रही है जबकि महंगाई दर लगातार बढ़ती जा रही है।
बैठक को करीब 20 दिन गुजरे :- मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में 27 नवंबर को हुई राज्य परामर्शी मूल्य निर्धारण समिति की बैठक में किसानों ने 400 रुपए प्रति कुंतल गन्ना मूल्य की मांग रखी थी। शाहजहांपुर के उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद ने यूपी सरकार को सूचित किया है कि इस सत्र में गन्ने की लागत 300 रुपए प्रति कुंतल आई है ।
पिछले वर्ष का गन्ना भुगतान अभी तक नहीं हुआ :- राकेश टिकैत
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत बताते हैं कि, पिछले वर्ष का गन्ना भुगतान नहीं हुआ है, किसान परेशान है, किसानों को इस सत्र में बिना रेट की पर्चियां दी गई हैं और सरकार ने अभी तक मूल्य घोषित नहीं किया है। जबकि पिछले माह सरकार किसान प्रतिनिधियों की बैठक हो चुकी है।
मेहनत की मिठास पाने को बैचेन गन्ना किसान :- उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 करीब है। गन्ना बेल्ट यूपी की राजनीति में अहम भूमिका निभाती है। गन्ने का दाम नहीं बढ़ाने पर कई किसान संगठनों में आंदोलन करने की सुगबुगाहट हो रही है। सभी किसानों को गन्ने के नए और बढ़े रेट की उम्मीद है। जिससे ये गन्ना किसान अपनी मेहनत की मिठास को महसूस कर सकें।
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