मेरठ . मेरठ में सोमवती अमावस्या पर सुहागिनों ने 16 श्रृंगार कर वटवृक्ष का पूजन किया। सास के लिए बाहिना निकाला और पति की लंबी आयु के लिए आशीर्वाद मांगा। सुबह से शहर के पार्क और कालोनियों में वटवृक्ष के नीचे सुहागिन महिलाओं का जुटना शुरू हो गया। महिलाओं ने व्रत कर पूजन किया और प्रसाद चढ़ाया।
व्रती महिलाओं ने हलवा-पूड़ी, गुड़, भिगोया चना, आटे से बनी मिठाई, कुमकुम, रोली, पांच प्रकार के फल, पान का पत्ता, धूप, घी का दीया और जल वट वृक्ष की जड़ पर अर्पित किया। पूजन के बाद महिलाओं ने सामूहिक रूप से सावित्री सत्यवान की कथा भी की। इस दौरान परिसर में मंगलगीत गूंजते रहे। सुहागिनों ने वट वृक्ष की परिक्रमा लगाई।
वट वृक्ष के तने पर कलावा और सूत बांधकर उसके फेरे लगाए। कुछ महिलाओं ने पूरे 108 फेरे लिए। तो कुछ ने सात बार सूत लपेटते हुए परिक्रमा की। यहां महिलाओं ने ब्रह्मा-सावित्री और सावित्री-सत्यवान का प्रतीक बनाकर उनकी पूजा की। वट वृक्ष की जड़ को जल से सींचकर आशीर्वाद लिया। वट वृक्ष को चढ़ाई गई सौभाग्य सामग्रियों को महिलाओं ने दान दिया। व्रत के महत्व से संबंधित कथाएं भी सुनीं और मंगलगीत गाए। महिलाओं ने पति की दीर्घायु और परिवार में सुख-शांति की कामना की।
मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पति पर आए संकट चले जाते हैं। आयु लंबी हो जाती है। अगर दांपत्य जीवन में कोई परेशानी चल रही हो तो वह भी इस व्रत से दूर हो जाते हैं। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए इस दिन वट यानी कि बरगद के पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना करती हैं। इस दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है। मान्यता है कि इस कथा को सुनने से मनोकामना पूरी होती है। पौराणिक कथा के अनुसार सावित्री मृत्यु के देवता यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले आई थीं।