नई दिल्ली. राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ ही बजट सत्र की शुरुआत हो गई है. इस बार के बजट से आम लोगों को काफी उम्मीदें हैं. दरअसल, कोरोना कहर के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और बढ़ती महंगाई के चलते लोग इस आस में हैं कि इस बजट में सरकार उन्हें राहत दे सकती है. इसी क्रम में इकोनॉमी को ग्रोथ बूस्टर देने के अलावा बजट में टैक्सपेयर्स को भी बड़ी राहत मिलने की संभावना है. दरअसल, कई साल से टैक्सपेयर्स के लिए कोई ऐसा ऐलान नहीं हुआ है, जिससे उन्हें बड़ा फायदा मिला हो. ऐसे में उम्मीद है कि इस बार टैक्स छूट का तोहफा देकर सरकार उन्हें खुश कर सकती है.
इंडियन बैंक एसोसिएशन ने सरकार से यह डिमांड रखी है कि 3 साल के फिस्क्ड डिपॉजिट पर टैक्स छूट के दायरे में लाना चाहिए. अगर सरकार की तरफ से इसे मंजूरी मिलती है तो निश्चित तौर पर बड़ी राहत होगी. आइये जानते हैं टैक्सपेयर्स को खुश करने के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है.
इंडियन बैंक एसोसिएशन ने मांग की है कि टैक्स फ्री फिक्स्ड डिपॉजिट के लॉक-इन पीरियड को कम करना चाहिए. अभी 5 साल के FD पर टैक्स छूट मिलती है. लेकिन, इसे घटाकर 3 साल करने की डिमांड की जा रही है. एसोसिएशन के अनुसार, 3 साल के FD को टैक्स छूट के दायरे में लाने से टैक्सपेयर्स को दूसरे प्रोडक्ट्स का भी ऑप्शन मिलेगा. इस समय लोग ब्याद दरें कम होने की वजह से FD के बजाय PPF या सुकन्या जैसे दूसरे प्रोडक्ट में ज्यादा निवेश कर रहे हैं. वहीं, रिस्क फैक्टर वाले निवेशकों के लिए म्यूचुअल फंड भी अच्छा विकल्प है.
फिलहाल सेक्शन 80C के तहत किए गए 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट मिलती है. इसमें PPF, सुकन्या समृद्धि योजना, लाइफ इंश्योरेंस जैसे कई प्रोडक्ट्स आते हैं. इससे पहले साल 2014 में 80C का दायरा 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था. यानी पिछले 8 सालों में इसमें बदलाव नहीं हुआ है. खासकर नौकरीपेशा वर्ग के लिए सेक्शन 80C टैक्स बचाने का सबसे बढ़िया ऑप्शन होता है. अगर सरकार इस सेक्शन के तहत छूट सीमा बढ़ाती है तो ज्यादा लोग इसमें निवेश करेंगे.
टैक्स छूट की बेसिक लिमिट अभी 2.5 लाख रुपये है. इससे पहले साल 2014 में इसे 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख किया गया था. लेकिन, इसमें भी पिछले 8 साल में कोई बदलाव नहीं आया है. इसलिए ये उम्मीद जताई जा रही है कि टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए बेसिक लिमिट को बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जा सकता है. दरअसल, इस साल 5 राज्यों में चुनाव होने हैं. ऐसे में बेसिक लिमिट को बढ़ाकर टैक्सपेयर्स यानी एक खास वर्ग के वोटर्स को खुश किया जा सकता है.