मुजफ्फरनगर। फर्जीवाड़ा कर अपने जीजा के नाम पर पुलिस आरक्षी के पद पर नौकरी करने वाले साले ने शुक्रवार की देर रात को मुरादाबाद पहुंच कर सरेंडर कर दिया। जबकि पुलिस ने जीजा को पहले ही हिरासत में लिया हुआ था। पूछताछ के बाद दोनों आरोपियों का पुलिस ने चालान कर दिया। पूरे प्रकरण में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
पिछले दो दिनों ने खतौली थाना क्षेत्र के गंगधाड़ी व दाहौड़ गांव चर्चाओं में आ गए है। चारों ओर एक ही चर्चा चल रही है कि आखिर इस फर्जीवाड़े का पुलिस को क्यो पता नहीं चल पाया। जिस जिले में आरोपी गंगधाड़ी निवासी सुनील कुमार दाहौड़ निवासी अपने जीजा अनिल के नाम से पिछले पांच सालों से नौकरी कर रहा था उसमें कई एसएसपी, थानेदार बदले होंगे। बावजूद इसके पुलिस अपने विभाग के फर्जीवाड़े को नहीं पकड़ पाई। फर्जीवाड़े का खुलासा भी तब हुआ जब आरोपी आरक्षी के एक रिश्तेदार से पिछले दिनों विवाद हुआ हो गया। अगर विवाद न होता तो फर्जीवाड़े का पुलिस को पता भी नहीं चल पाता।
शिकायत पर हुई जांच के बाद मुरादाबाद पुलिस ने सबसे पहले दाहौड निवासी आरोपी आरक्षी अनिल कुमार को दबिश देकर हिरासत में लिया। पुलिस पूछताछ में चौकाने वाली कई बाते सामने आई। अगर कुछ दिन ओर इस फर्जीवाड़े का खुलासा न होता तो शायद कभी नहीं हो पाता। क्योकि आरक्षी अनिल कुमार पिछले कई महीनों से मुरादाबाद से अपना ट्रांसफर कराने के प्रयास में लगा हुआ था। अगर ऐसा हो जाता तो आरक्षी अनिल की अपनी ड्यूटी करता और फर्जीवाड़े का राज दफन होकर रह जाता। हालाकि प्रकरण के बाद लगातार बढती दबिस के चलते आरोपी गंगधाड़ी निवासी सुनील कुमार ने मुरादाबाद पहुंच कर पुलिस में सिरेंडर कर दिया है।पूछताछ के बाद दोनों का चालान भी कर दिया गया।
प्रकरण में पकड़े गए आरोपी सुनील ने पुलिस को अपनी कहानी बताई। कहा कि सालों पूर्व दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे। दाहौड़ निवासी अनिल इंटर में पढ़ता था तो वह हाईस्कूल में पढ़ रहा था। पढ़ाई करते समय अनिल की पुलिस में नौकरी लग गई। दोस्त की नौकरी लगने के बाद उसको भी पुलिस में जाने का शौक लगा। उसने अपने दोस्त से कहा कि वो भी पुलिस में भर्ती होना चाहता है। पुलिस में भर्ती के लिए कई बाद टेस्ट भी दिए लेकिन हर बार फेल हो गया।
अनिल ने बहन से शादी का प्रस्ताव रखा। बहन की शादी के बाद से ही अनिल घर पर रहने लगा। अनिल ने शिक्षा विभाग में नौकरी करने की बात कही। इसी दौरान अनिल की मुरादाबाद पोस्टिंग हो गई। नई पोस्टिंग में अनिल की जगह सुनील ड्यूटी पर चला गया। ड्यूटी पर जाने के दौरान अनिल ने अपने साले सुनील को घर पर पूरी ट्रेनिंग भी दी। किस तरह से कोतवाल के सामने सलामी देनी है। अनिल ने कहा कि पीआरवी पर विभाग अधिक ध्यान नहीं देता है। जिस तरह से अनिल प्लान करता है सुनील उसके अनुसार चलता गया।
बताया गया है कि मुरादबाद में पीआरवी पर डयूटी करने के दौरान पुलिस के रवैये को देखकर सुनील सात दिन ड्यूटी करने के बाद वापस घर लौट गया था। लेकिन अपने जीजा के कहने पर दोबारा गया। एक बात ओर चौकाने वाली सामने आई है। बताया गया है कि जब पीआरवी पर तैनात सिपाहियों को कप्तान के सामने पेश होना पड़ता था तो सुनील की जगह अनिल ही पेश होता था। अनिल ने अपने साले को मुरादाबाद से ट्रांसफर होने तक ड्यूटी करने के लिए तैयार किया हुआ था। रिश्तेदार से अनबन होने पर अनिल को अंदेशा होने लगा था कि जीजा साले का राज अब ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा। इसलिए अनिल मुरादाबाद से अपना ट्रासफर दूसरे जनपद में कराने में लगा हुआ था। अनिल को दो सप्ताह में ट्रांसफर होने का आश्वासन भी दिया हुआ था।
पुलिस पूछताछ के एक आरोपी ने ये भी बताया कि जब रिश्तेदार से विवाद हो गया था तो अनिल ने वापस ड्यूटी पर जाने का मन बनाया, लेकिन जब तक बहुत देर हो चुकी थी। पांच साल में सुनील ने विभाग मे अपनी पकड़ बना ली थी। अगर सुनील की जगह अनिल ड्यूटी पर जाता तो वो पकड़ा जाता। इसलिए अनिल अपना तबादला करने के प्रयास में जुटा था, ताकि दूसरी जगह पर जब डयूटी लगेगी तो वो खुद डयूटी करेगा। लेकिन उससे पहले ही जीजा साले के फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। ये भी बताया गया है कि अनिल ने जिस शिक्षा विभाग में ड्यूटी करने की बात परिजनों को बताई हुई थी वो झूठी थी। अनिल ने कभी शिक्षा विभाग मे नौकरी ही नहीं की।