शामली : दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे यात्रियों और पर्यटकों के लिए मात्र ढाई घंटे में सफर को संभव बनाते हुए समय और ऊर्जा की बचत करेगा। यह पर्यावरण संरक्षण और आधुनिक सुविधाओं के साथ क्षेत्रीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा।
दिल्ली और देहरादून के बीच का सफर अब पहले से कहीं ज्यादा तेज और सुगम होने जा रहा है। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, जिसकी कुल लंबाई 210 कि.मी. है, का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। यह बहुप्रतीक्षित परियोजना यात्रियों और पर्यटकों के लिए समय और ऊर्जा की बचत करते हुए सुविधाजनक यात्रा प्रदान करेगी। इसके जल्द ही यातायात के लिए खुलने की उम्मीद है, जिससे यह यात्रा महज ढाई से तीन घंटे में पूरी हो सकेगी।
अभी तक दिल्ली से देहरादून पहुंचने में लगभग साढ़े छह घंटे का समय लगता था। लेकिन, इस नए एक्सप्रेसवे के चालू होने के बाद यह दूरी मात्र ढाई से तीन घंटे में तय की जा सकेगी। यह न केवल समय की बचत करेगा बल्कि सड़क पर यातायात का भार भी कम करेगा।
यह एक्सप्रेसवे बागपत, शामली और सहारनपुर जैसे महत्वपूर्ण शहरों से होकर गुजरता है। इससे न केवल यात्रियों को आसान और तेज आवागमन मिलेगा, बल्कि माल ढुलाई के लिए भी यह एक प्रमुख मार्ग के रूप में विकसित होगा।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का बेहतरीन उदाहरण है। इसकी चौड़ाई कुछ स्थानों पर 130 मीटर तक है, और इसमें 10-12 लेन तक की सुविधा उपलब्ध होगी। यात्रियों के लिए हर 25-30 किलोमीटर पर अत्याधुनिक रेस्ट स्टॉप्स और सुरक्षा सुविधाएं होंगी।
इस परियोजना का निर्माण चार चरणों में पूरा किया गया है। पहला चरण 32 किलोमीटर लंबा है, जो दिल्ली के अक्षरधाम से बागपत तक जुड़ता है। दूसरा चरण बागपत से सहारनपुर तक फैला हुआ है, और इसका अधिकांश हिस्सा पहले ही जनता के लिए खोल दिया गया है। तीसरे और चौथे चरण में देहरादून के आसपास के क्षेत्र और राजाजी नेशनल पार्क को शामिल किया गया है।
राजाजी नेशनल पार्क के समीप 12 किलोमीटर का एलिवेटेड वाइल्डलाइफ कॉरिडोर और 340 मीटर लंबी सुरंग बनाई गई है। यह क्षेत्र के जीव-जंतुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए डिजाइन किया गया है।
इस एक्सप्रेसवे पर 110 से अधिक अंडरपास, 5 रेलवे ओवरब्रिज और 4 बड़े पुल बनाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, यात्रियों के लिए 16 एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स होंगे, जो पूरी यात्रा को सुविधाजनक और तेज बनाएंगे।
इस एक्सप्रेसवे पर टोल की व्यवस्था दूरी के आधार पर की गई है। खास बात यह है कि शुरुआती 18 किलोमीटर का हिस्सा (अक्षरधाम से लोनी तक) पूरी तरह टोल-फ्री रहेगा। इस परियोजना से दिल्ली और उत्तराखंड के बीच व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे क्षेत्रीय आर्थिक विकास को गति मिलेगी।