नई दिल्ली: जैसे-जैसे 2024 का लोकसभा चुनाव करीब आ रहा है तमाम सर्वे आने लगे हैं। चुनावी वादे होने लगे हैं। गैस सिलेंडर के दाम कम हुए हैं और अब चर्चा है कि पेट्रोल-डीजल पर भी राहत मिल सकती है। विपक्ष शासित राज्य सरकारें अपने वादे कर रही हैं। फ्री-फ्री की लिस्ट बन रही है। विधानसभा चुनावों और उपचुनावों को सेमीफाइनल कहा जा रहा है। भाजपा के पास नरेंद्र मोदी के रूप में करिश्माई चेहरा है, जो लगातार तीसरी बार पीएम पद के प्रबल दावेदार हैं। कांग्रेस और उसकी अगुआई में बना I.N.D.I.A अपनी बातें कर रहा है। विपक्षी मोर्चा इसी शर्त पर बना है कि अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाएं खूंटी पर टांग दी जाए क्योंकि अगर ऐसा होगा तो शायद गठबंधन चल ही न पाए। विपक्षी पार्टियों के अपने नेता हैं और उनकी तमन्ना पीएम की कुर्सी है। हां, कांग्रेस अपने तरीके से राहुल गांधी को पीएम कैंडिडेट के तौर पर जरूर प्रोजेक्ट करने लगी है। बघेल और गहलोत जैसे नेता राहुल के लिए ‘बैटिंग’ शुरू कर चुके हैं। भारत जोड़ो यात्रा के बाद से कांग्रेस उत्साहित है। हालांकि इंडिया टुडे के सर्वे में नरेंद्र मोदी vs राहुल गांधी के सवाल का परिणाम कांग्रेस को जरूर निराश करेगा। अगस्त 2023 के इस सर्वे में पूछा गया था कि देश के अगले पीएम के रूप में सबसे योग्य कौन हैं? नरेंद्र मोदी के पक्ष में 52 प्रतिशत तो राहुल के पक्ष में 16 प्रतिशत लोग दिखे। सर्वे में शामिल लोगों में से औसतन 6 में से एक ने राहुल का समर्थन किया।
इंडिया टुडे के सर्वे के मुताबिक थोड़ी गिरावट के बावजूद मोदी की लोकप्रियता जबर्दस्त है। अगस्त 2023 में 63 प्रतिशत लोगों ने उनके प्रदर्शन को शानदार कहा, जबकि केवल 22 प्रतिशत लोगों ने खराब बताया।
एनडीए सरकार के प्रदर्शन से 59 प्रतिशत लोग संतुष्ट दिखे, 19 प्रतिशत असंतुष्ट रहे।
प्रतिशत लोग (25-34 साल) महंगाई को मोदी सरकार की सबसे बड़ी विफलता मानते हैं।
मोदी सरकार की नाकामी में 25 प्रतिशत बढ़ते दाम, 17 प्रतिशत बेरोजगारी, 12 प्रतिशत धीमा
आर्थिक विकास, 3 प्रतिशत नोटबंदी, 5 प्रतिशत लोग दंगे और अल्पसंख्यकों में डर का भाव मानते हैं।
देश की सबसे बड़ी समस्याओं में लोग महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी मानते हैं।
भाजपा तीसरी बार सत्ता में आने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। राहुल गांधी को जनता का वोट हासिल करने के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा। लोग उनमें अनुभव और करिश्मे की कमी देखते हैं। उन्हें मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और जीवन यापन पर बढ़ते खर्च जैसी मतदाताओं की चिंताओं पर न सिर्फ बात करनी होगी बल्कि विकल्प बनकर भी सामने आना होगा। मुंबई में विपक्षी गठबंधन की होने जा रही बैठक में आम चुनाव की रणनीतियों पर चर्चा होगी। ऐसे में यह समझना दिलचस्प है कि अगले लोकसभा चुनाव में कौन से फैक्टर काम करेंगे। सरल भाषा में कहें, तो वे कौन से चार बड़े मुद्दे होंगे जिसके आधार पर जनता वोट कर सकती है।
1. अर्थव्यवस्था: अगर भारत की अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन करती रहती है तो यह भाजपा के हित में होगा। हालांकि अगर इकॉनमी की सेहत बिगड़ती है तो देश का मूड बदल सकता है।
2. लोकप्रियता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज के समय में काफी पॉपुलर नेता है। उनकी लोकप्रियता बीजेपी की सरकार बनाने में एक बड़ा फैक्टर है। हालांकि किन्हीं कारणों से अगर पॉपुलैरिटी घटती है तो संभावनाएं कमजोर हो सकती हैं।
3. विपक्षी एकता: अगर विपक्षी दल किसी एक उम्मीदवार के सपोर्ट में खुलकर खड़े होते हैं उनके जीतने की सभावना बढ़ सकती है। हालांकि अभी की परिस्थितियों में ऐसा होना मुश्किल लग रहा है। अगर वे अलग-अलग बंटे हुए दिखते हैं तो भाजपा की जीत आसान हो सकती है।
4. सोशल मीडिया: यह फैक्टर सोचने में भले ही किसी को छोटा या कम महत्व का लगे लेकिन इसका असर बहुत ज्यादा है। चुनावों में सोशल मीडिया की भूमिका बढ़ती जा रही है। अब नेता जमीन पर कम और वर्चुअल दुनिया में ज्यादा दिखते हैं और दिखेंगे। जो भी पार्टी इसका बेहतर इस्तेमाल करेगी उसे फायदा हो सकता है।